राष्ट्रीय

लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की जोड़ी का कमाल

-इस जोड़ी को जाता है गायिकाओं के युगल गीत शुरु कराने का श्रेय

मुंबई : वाकया कोलाबा के रेडियो क्लब में हुए एक कॉन्सर्ट का है, जहां लता मंगेशकर परफॉर्म कर रही थीं। इस दौरान उनकी नजर मैन्डोलिन बजाते हुए एक बहुत टैलेंटेड लड़के पर पड़ी। उस 10 साल के लड़के ने लता जी को मैन्डोलिन बजाने के अपने हुनर से इम्प्रेस कर दिया था। यह लड़का कोई और नहीं, बल्कि लक्ष्मीकांत-प्यारेलाल की जोड़ी के लक्ष्मीकांत थे। उनका नाम देवी लक्ष्मी के नाम पर लक्ष्मीकांत रखा गया था, क्योंकि उनका जन्म लक्ष्मी-पूजन के दिन हुआ था। वह बहुत छोटी उम्र में मैन्डोलिन बजाना सीखने लगे थे। उसके बाद उन्होंने एक बाल कलाकार के रूप में कुछ गुजराती फिल्मों और हिंदी फिल्मों जैसे पुंडलिक (1949) और आंखें (1950) में काम किया। फिल्म ‘आंखें’ का संगीत मदन मोहन ने दिया था। संगीत सीखने के दौरान ही लक्ष्मीकांत की मुलाकात अपने भविष्य के पार्टनर प्यारेलाल से सुरील कला केंद्र में हुई। यह केंद्र मंगेशकर परिवार द्वारा चलाया जाता था। संगीत और खेलों में रुचि ने लक्ष्मी-प्यारे की दोस्ती को और भी मजबूत बना दिया।

लक्ष्मीकांत को मैन्डोलिन बजाने में महारत थी, तो प्यारेलाल एक बेहतरीन वायलिन वादक थे। दोनों ने साथ में संगीत की दुनिया में कदम रखा और कभी किसी के असिस्टेंट तो कभी सह- संगीतवादकों की तरह काम किया। संगीत के प्रति उनकी लगन की बदौलत साल 1963 में उन्हें संगीतकारों की तरह अपनी पहली फिल्म मिली। बाबुभाई मिस्त्री की कॉस्ट्यूम ड्रामा फिल्म ‘पारसमणि’ संगीतकार जोड़ी की तरह उनकी पहली फिल्म बनी। उन्होंने फिल्मी पर्दे पर इस फिल्म के साथ ऐसा कालजयी संगीत परोसा कि उन्हें उस दौर के महान संगीतकारों की कतार में शुमार कर दिया गया। इसके बाद इस जोड़ी ने पीछे मुड़कर कभी नहीं देखा। यह जोड़ी संगीत की दुनिया में एक ब्रांड बन गई। संगीत के मामले में इन दोनों की आपसी ट्यूनिंग भी कमाल की थी। जहां प्यारेलाल ऑर्केस्ट्रा का संयोजन करते थे, लक्ष्मीकांत ट्यून और गायकी देखते थे। लता मंगेशकर भले ही उनके अधिकतर गीतों की मुख्य गायिका रहीं, उन्होंने अन्य गायिकाओं के साथ भी शानदार काम किया। प्रचलित गायक-गायिका के युगल गीतों से इतर उन्होंने गायिकाओं के युगल गीत भी तैयार किए। यह ट्रेंड उन्होंने अपनी पहली ही फिल्म से अपनाया, जिसमें सबसे अधिक लोकप्रिय गायिकाओं का युगल गीत- ‘हंसता हुआ नूरानी चेहरा’ था।

 

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