लखनऊ। लखनऊ संसदीय सीट पर लोकसभा चुनाव की लड़ाई बेहद रोचक होती नजर आ रही है। मौजूदा सांसद लालजी टंडन का पत्ता साफ कर भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के अध्यक्ष अध्यक्ष राजनाथ सिंह यहां स्वयं मैदान में उतरे हैं। उन्हें कड़ी टक्कर देने के लिए समाजवादी पार्टी (सपा) ने गुरुवार को अपने पूर्व घोषित प्रत्याशी डॉ. अशोक वाजपेयी की जगह अखिलेश सरकार में मंत्री अभिषेक मिश्रा को प्रत्याशी बनाने का ऐलान किया।
मिश्रा उत्तर प्रदेश सरकार में राज्यमंत्री हैं और मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के करीबी माने जाते हैं। अखिलेश की पहल के बाद ही आईआईएम में प्रोफेसर मिश्रा अपना शिक्षण का पेशा छोड़कर विधानसभा चुनाव के दौरान लखनऊ में मैदान में उतरे थे और पहले चुनाव में ही जीत दर्ज की थी। अब एक बार फिर वह लोकसभा प्रत्याशी के रूप में वह जनता के सामने जाएंगे। लखनऊ से राजनाथ की उम्मीदवारी साफ होने के बाद से ही माना जा रहा था कि सपा अपने पूर्व घोषित प्रत्याशी को बदलेगी। सियासी विश्लेषकों के मुताबिक सपा उत्तर प्रदेश की राजधानी से राजनाथ को कड़ी टक्कर देकर यह संदेश देना चाहती है कि भाजपा को केंद्र की सत्ता में आने से रोकने के लिए वह पुरजोर कोशिश कर रही है।
प्रमुख सियासी दलों की बात करें तो कांग्रेस ने भी यहां से अपनी विधायक और पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रीता बहुगुणा जोशी को प्रत्याशी बनाया है। रीता वर्ष 2००9 में भी लखनऊ से लोकसभा चुनाव लड़ चुकी हैं और उन्होंने भाजपा के लालजी टंडन को कड़ी चुनौती दी थी। उत्तराखंड की मूल निवासी रीता को लखनऊ में बड़ी संख्या में रहने वाले अपने गृह प्रदेश के मूल निवासी मतदाताओं पर पूरा भरोसा है क्योंकि इन्हीं मतदाताओं के सहारे उन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव में भी कैंट विधानसभा क्षेत्र से जीत दर्ज की थी। वहीं बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने इस सीट पर ब्रा२ाण कार्ड चलते हुए नकुल दुबे को अपना प्रत्याशी घोषित किया है। नकुल पूर्ववर्ती बसपा सरकार में मंत्री रह चुके हैं और पार्टी महासचिव सतीश चंद्र मिश्रा के करीबी बताए जाते हैं। हालांकि गत विधानसभा चुनाव में उन्हें हार का मुंह देखना पड़ा था। लखनऊ के सियासी महासमर में प्रमुख पार्टियों के उम्मीदवारों को देखें तो कांग्रेस भाजपा सपा और बसपा को मिलाकर कुल तीन ब्रा२ाण और एक क्षेत्रीय उम्मीदवार मैदान में हैं। इनमें से दो विधानसभा सदस्य हैं।