लखनऊ में 1.72 रुपये का वोवेरान इंजेक्शन बेच रहे 19.47 में
एफएसडीए की ड्रग इकाई ने राजधानी में थोक व फुटकर दवा दुकानों पर बेची जा रही दवाओं की कीमतों की जांच पड़ताल तो इसका खुलासा हुआ। यह खेल कंपनी स्तरी से लेकर दवा की दुकान तक हो रहा है।
अपर आयुक्त ड्रग अनूप कुमार के निर्देश पर औषधि निरीक्षकों ने शहर के अलग-अलग इलाकों में दवा की दुकानों पर जांच पड़ताल की। दुकानों पर चेक किया गया कि केंद्र सरकार की ओर से तय डीपीसीओ का पालन हो रहा है कि नहीं।
ऐसी हो रही है मनमानी
जांच से जुड़े औषधि निरीक्षकों के अनुसार 1.72 का वोवेरान इंजेक्शन जहां 19.47 रुपया में बिकता मिला तो अमीकासिन इंजेक्शन 16.18 की जगह 33.50 रुपये में बेचा जा रहा है। एंटीबायोटिक सी-फॉक्स टेबलेट भी डीपीसीओ की तय दर 2.21 रुपये के बजाय 40 रुपये तक में बेची जाती मिली। अनूप कुमार ने बताया कि आपत्ति जताने पर दुकानदार लोकल टैक्स का हवाला देकर गड़बड़ी को छिपाने का दबाव भी बनाया गया।
अब क्या
सर्वे पूरा होने पर कम्पाइल रिपोर्ट तैयार कर डिफॉल्टर दवा कंपनियों व दवा विक्रेताओं के नाम का खुलासा किया जाएगा। डीपीसीओ के तय दर से अधिक मूल्य प्रिंट कर दवा बेचने के मामले में चिह्नित दवा कंपनियों पर कार्रवाई के लिए केंद्रीय मंत्रालय भेजा जाएगा।
क्या हो सकता है
केंद्रीय मंत्रालय ऐसी दवा कंपनियों से अधिक दर पर की की गई दवा बिक्री का आकलन कर इसकी वसूली कर सकता है। दवा कंपनी को नोटिस जारी कर मोटा जुर्माना लगाने के साथ ही दवा निर्माण लाइसेंस निलंबित या निरस्त कर सकता है।