अद्धयात्मराष्ट्रीय

लाल गाय को खिलाएं ये चीज, नेत्र दोष और ग्रह पीड़ा से मिलेगी मुक्ति

कल रविवार दी॰ 19.11.17 मार्गशीर्ष शुक्ल प्रतिपदा पर सूर्य पूजन श्रेष्ठ रहेगा। वैदिक मतानुसार सूर्यदेव समस्त जीव-जगत के आत्मस्वरूप हैं। यही अखिल सृष्टि के आदि कारण भी हैं। यही एकमात्र प्रत्यक्ष आदि देव हैं। पौराणिक मतानुसार सूर्य महर्षि कश्यप व माता अदिति के पुत्र हैं। भविष्य, मत्स्य, पद्म, ब्रह्म, मार्कण्डेय व सांब आदि पुराणों में सूर्य परिवार की विस्तृत कथा वर्णित है। इनकी पहली पत्नी विश्वकर्मा पुत्री संज्ञा व दूसरी पत्नी छाया है। अश्विनी कुमार, वैवस्वत-मनु, यमराज, यमुना, शनि, सावर्णि-मनु, तपती इनकी संताने हैं तथा कपिराज सुग्रीव व महारथी कर्ण इनके अंश से उत्पन्न हुए थे। पक्षिराज गरुड़ के बड़े भाई अरुण सूर्य के रथ को हांकते हैं। सूर्य ही शिव का एक नेत्र व भगवान विराट के नेत्र को अभिव्यक्त करते हैं। ज्योतिषशास्त्र के काल-पुरुष सिद्धांतानुसार सिंह राशि के अधिपति सूर्य को आदत, पेट, गर्भ, शिक्षा, संतान, ज्ञान और दृष्टि का स्वामी माना गया है। रविवार मार्गशीर्ष शुक्ल प्रतिपदा पर सूर्य के विशिष्ट उपासना व उपायों से समस्त रोगों, नेत्र दोषों, ग्रह पीड़ाओं का शमन होता है तथा सभी कामनाओं की पूर्ति होती है।
विशेष पूजन विधि: प्रातःकाल सूर्यदेव का विधिवत पूजन करें। सिंदूर युक्त गौघृत से दीप करें, गुग्ल धूप करें, रोली, हल्दी, सिंदूर व चंदन चढ़ाएं। सफेद, पीले व लाल फूल चढ़ाएं। अंजीर का फलाहार चढ़ाएं। गेहूं व गुड़ का भोग लगाएं तथा लाल चंदन की माला से इस विशेष मंत्र का 1 माला जाप करें। पूजन उपरांत फलाहार व भोग लाल गाय को खिलाएं।
पूजन मुहूर्त: प्रातः 08:45 to से प्रातः 10:45 तक।
पूजन मंत्र : ॐ आदित्याय विद्महे दिवाकराय धीमही तन्नो सूर्यः प्रचोदयात्॥
उपाय
नेत्र दोषों से मुक्ति हेतु सूर्यदेव पर चढ़े जल से आंखें धोएं।
समस्त रोगों के शमन हेतु सूर्यदेव पर जायफल चढ़ाकर जलप्रवाह करें।
सर्व कामनाओं की पूर्ति हेतु शहद व सिंदूर मिले दूध से सूर्य को अर्घ्य दें।
-आचार्य कमल नंदलाल
ईमेल: kamal.nandlal@gmail.com

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