ज्ञान भंडार
लैंड डायवर्सन सर्टिफिकेट भी अब ऑनलाइन, आज से मिलेगा घर बैठे
रायपुर.डायवर्सन व नए प्रोजेक्ट के लिए जरूरी भूमि उपयोग के प्रमाणपत्र के लिए लोगों को अब कार्यालयों के महीनों चक्कर नहीं काटने होंगे। उन्हें दलालों से भी मुक्त मिल जाएगी। वजह ये है कि बुधवार से रायपुर में ऑनलाइन सिस्टम शुरू किया जा रहा है। अब फरियादी घर बैठे ही जान सकेगा कि कौन सी भूमि किस उपयोग के लिए है और वह इसके उपयोग का प्रमाणपत्र भी घर में बैठे ले सकेगा।
– यह व्यवस्था च्वाइस सेंटरों में भी शुरू की जा रही है। इसका लाभ ये होगा कि महीनों का काम हफ्तेभर में हो जाएगा। राज्य आवास एवं पर्यावरण के नगर एवं ग्राम निवेश विभाग ने यह बड़ी राहत दी है।
– खास बात ये है कि आनलाइन जारी होने वाले इस प्रमाणपत्र में संबंधित अधिकारी के डिजिटल हस्ताक्षर होंगे। यह प्रमाणपत्र सभी जगह मान्य होगा। वर्तमान में लागू मैनुअल सिस्टम हफ्तेभर में खत्म कर दिया जाएगा। – हालांकि अभी चल रहे मैनुअली सिस्टम की तरह 50 रुपए शुल्क का चालान बैंक से ही बनवाना होगा।
– टाउन एंड कंट्री प्लानिंग के ज्वाइंट डायरेक्टर एमके गुप्ता ने कहा कि जल्द ही यह सिस्टम भी अपग्रेड व मॉडिफाइड कर ऑनलाइन हो जाएगा।
– राज्य में हर महीने डायवर्सन व नए प्रोजेक्ट के लिए भूमि उपयोग के प्रमाणपत्र के लिए सैकड़ों आवेदन लगते हैं।
– अफसरों की माने तो केवल रायपुर में 800 से 1000, दुर्ग-भिलाई में 700, बिलासपुर में 500, जांजगीर-चांपा में 100, राजनांदगांव में 250 रायगढ़ में 250 व अन्य जिलों में बड़ी संख्या में लोग आवेदन लगे हैं।
– इस प्रमाणपत्र के बिना वे अपना प्रोजेक्ट शुरू नहीं कर सकते। दलालों की सक्रियता व कालोनियों के बड़े प्रोजेक्ट शुरू करने वालों के बीच प्रतियोगिता के चलते कई मामले अटकाए भी जाते हैं।
– इससे आवेदक को एक महीने से लेकर कई-कई महीनों तक चक्कर लगाने पड़ते हैं। अब प्रमाणपत्र सीधे उनके हाथों में होगा।
– सूत्रों के अनुसार सबकुछ ठीक रहा तो कुछ महीनों में से डे-प्रमाणपत्र देने का भी दावा किया जा रहा है।
– सूत्रों के अनुसार सबकुछ ठीक रहा तो कुछ महीनों में से डे-प्रमाणपत्र देने का भी दावा किया जा रहा है।
ये फायदे
– महीनों की बजाए हफ्तेभर में काम
– दलालों के चक्कर खत्म
– कार्यालयों में नहीं जाना पड़ेगा
– टाइम पर शुरू हो सकेंगे प्रोजेक्ट
– इससे समय और लागत बचेगी
– कानूनी विवाद का डर खत्म
– लोगों को फर्जीवाड़े से मुक्ति
– स्टाफ की कमी का बहाना खत्म
– दलालों के चक्कर खत्म
– कार्यालयों में नहीं जाना पड़ेगा
– टाइम पर शुरू हो सकेंगे प्रोजेक्ट
– इससे समय और लागत बचेगी
– कानूनी विवाद का डर खत्म
– लोगों को फर्जीवाड़े से मुक्ति
– स्टाफ की कमी का बहाना खत्म
क्या करना होगा
– आवास एवं पर्यावरण विभाग का ई-डिस्ट्रिक्ट पोर्टल है। प्रमाणपत्र चाहने वाले को इसे चॉइस सेंटर या घर पर बैठकर ई-डिस्ट्रिक्ट पोर्टल लाग आन कर ई-सेवाएं में क्लिक करेगा।
– इस पोर्टल को पूर्व में इस्तेमाल करने वाले लोगों के पास अपने यूजर पासवर्ड होंगे। लेकिन जो व्यक्ति पहली दफे इसका इस्तेमाल कर रहा है उसे अपना यूजर पासवर्ड जनरेट करना होगा।
– इसे इंटर करते ही ई-डिस्ट्रिक्ट पोर्टल में वह रजिस्टर्ड हो जाएगा। आगे क्लिक करने पर एक फार्म खुलेगा जो भूमि उपयोगिता प्रमाणपत्र का आवेदन होगा। इसमें आवेदक को जरूरी जानकारी भरनी होगी।
– साथ उसे संबंधित जमीन का खसरा, नक्शा, बी-वन व रजिस्ट्री की कापी अपलोड करनी होगी। यह प्रकिया पूरी होते ही उसका आवेदन जमा हो जाएगा।
– आवेदक को इसके प्रमाण के रूप में एसएमएस आएगा। निचले स्तर का स्टाफ शाम को सभी आवेदनों की पड़ताल कर सबकुछ ठीक होने पर उसे संबंधित अधिकारी को फारवर्ड कर देगा।
– आवेदक को इसकी जानकारी फिर एसएमए, पहुंचेगा। अधिकारी द्वारा प्रमाणपत्र जारी करने पर फरियादी को प्रमाणपत्र बन जाने का एसएमएस पहुंचेगा। वह डाउनलोड कर प्रमाणपत्र प्रिंट निकाल सकेगा।
आगे की योजना भी : मूणत
– आवास पर्यावरण मंत्री राजेश मूणत ने कहा कि योजना को और भी एडवांस बनाने और आगे ले जाने भुईंया से जोड़ने पर विचार किया जा रहा है। इसके लिए टीम बनाकर सर्वे पर लगा दी है।
– ऐसा हो सका तो आवास पर्यावरण व राजस्व विभाग का जमीन से संबंधित किया जा रहा काम मिनटों में निपट सकेगा।
– जैसे-जैसे जिलों के नक्शों, खसरों आदि का कंप्यूटराइज्ड (डिजिटलाइजेशन) का काम पूरा होगा, उन जिलों को आनलाइन भूमि उपयोग के प्रमाणपत्र मिलते जाएंगे।