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नई दिल्ली: आरटीआई से लैंड बिल पर कांग्रेस का यू-टर्न सामने आया है। करीब एक साल पहले लैंड बिल पर कांग्रेस सख्त विरोध कर रही है, लेकिन आरटीआई के तहत हासिल दस्तावेज के बाद कांग्रेस ने यू-टर्न ले लिया। आरटीआई के दस्तावेजों के मुताबिक, ग्रामीण विकास मंत्रालय ने संशोधनों पर राज्यों का मूड जानने के लिए 26 जून 2014 को बैठक बुलाई थी। इसमें कांग्रेस शासित राज्यों केरल, कर्नाटक, मणिपुर और महाराष्ट्र ने सहमति वाले क्लॉज और सोशल इंपैक्ट असेसमेंट की जरूरत से जुड़े संशोधनों का समर्थन किया था। पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (पीपीपी) प्रॉजेक्ट्स के लिए जमीन अधिग्रहण से प्रभावित 80 फीसदी परिवारों की सहमति वाले क्लॉज में बदलाव के बीजेपी सरकार के प्रस्ताव का छत्तीसगढ़, केरल, मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, गुजरात और हरियाणा (उस वक्त यहां भी कांग्रेस की सरकार थी) की सरकारों ने समर्थन किया था।
आरटीआई कार्यकर्ता वेंकटेश नायक की तरफ से हासिल दस्तावेजों में यह भी कहा गया कि जून 2014 की बैठक में केरल, महाराष्ट्र और हरियाणा ने भी उपयोग नहीं की गई जमीन की वापसी के मामले में बीजेपी सरकार के प्रस्ताव का समर्थन किया था। कांग्रेस की अगुवाई वाली यूपीए सरकार के जमीन अधिग्रहण ऐक्ट 2013 में कहा गया है कि अगर सरकार की तरफ से ली गई जमीन का पांच साल तक कोई उपयोग नहीं होता है, तो इसे इसके मूल मालिकों को लौटाने की जरूरत होगी। हालांकि, संशोधन बिल में बीजेपी सरकार ने यह फैसला राज्यों पर छोड़ दिया है कि किस पीरियड के बाद इस्तेमाल नहीं की गई जमीन को लौटाने की जरूरत होगी। यूपीए सरकार के बिल में सरकारी ऑफिसर की तरफ से गड़बड़ी के मामले में सजा का प्रावधान रखा गया था। बीजेपी के संशोधन बिल में इसे खत्म कर दिया गया है और इसका समर्थन केरल ने भी किया था।