लोकसभा में भीड़तंत्र की हिंसा पर हंगामा, राज्यसभा 12 बजे तक के लिए स्थगित
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नई दिल्ली : मानसून सत्र की शुरुआत संसद में हंगामे के साथ हुई है। हंगामे के बीच लोकसभा में प्रश्नकाल की शुरुआत हुई। लोकसभा में भीड़तंत्र की हिंसा यानि मॉब लिंचिंग के मुद्दे पर विपक्ष हंगामा कर रहा है। राज्यसभा में टीडीपी सांसदों के आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर नारेबाजी की, जिसके बाद राज्यसभा की कार्यवाही दोपहर 12 बजे तक के लिए स्थगित कर दी गई है। मानसून सत्र शुरू होने से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि संसद में अहम मुद्दों पर सार्थक बहस होना जरूरी है। हम हर मुद्दे पर चर्चा करने के लिए तैयार हैं। 22 दिन चलने वाले इस सत्र में सरकार का इरादा 18 विधेयक पेश करने का है।
राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद द्वारा राज्यसभा के लिए मनोनीत सदस्यों किसान नेता राम शकल, लेखक और स्तंभकार राकेश सिन्हा, मूर्तिकार रघुनाथ महापात्रा और क्लासिकल डांसर सोनल मानसिंह ने पद और गोपनीयता की शपथ ली। संसद के बाहर पत्रकारों से बात करते हुए पीएम मोदी ने कहा, ‘देखिए, देश के कई महत्वपूर्ण मुद्दे हैं, जिन पर बहस होनी बेहद जरूरी है, इन मुद्दे पर जितनी चर्चा होगी उतना ही देश को फायदा होगा। मैं आशा करता हूं कि सभी राजनीतिक दल सदन के समय का सर्वाधिक उपयोग देश के महत्वपूर्ण कामों को आगे बढ़ाने में करेंगे। सत्र के दौरान कोई भी सदस्य, पार्टी किसी भी मुद्दे को बहस के लिए उठा सकती है। इस दौरान प्रधानमंत्री मोदी ने देश के कई राज्यों में बाढ़ के हालात पर भी चिंता व्यक्त की। संसद का मानसून सत्र आज से शुरू हो गया है। सत्र के हंगामेदार रहने की पूरी संभावना थी। इसका अंदाजा एक दिन पहले ही तब लग गया, जब कांग्रेस ऐलान किया कि वह सरकार के खिलाफ आविश्वास प्रस्ताव लाएगी।
उधर, भीड़ की हिंसा यानि मॉब लिंचिंग मामले पर तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के बाद राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) के सांसद जेपी यादव ने भी स्थगन प्रस्ताव का नोटिस दे दिया है। उधर, सीपीआई सांसद डी राजा ने मॉब लिंचिंग की घटनाओं और स्वामी अग्निवेश पर हमले को लेकर राज्यसभा में स्थगन प्रस्ताव दिया। आज से शुरू हो रहा संसद का मानसून सत्र राजनीतिक सरगर्मियों के अतिरिक्त कामकाज के लिहाज से भी अहम रहने वाला है। 22 दिन चलने वाले इस सत्र में सरकार का इरादा 18 विधेयक पेश करने का है। इन विधेयकों में गैर-कानूनी डिपॉजिट स्कीमों पर लगाम लगाने से लेकर एमएसएमई क्षेत्र के लिए टर्नओवर के लिहाज से परिभाषा में बदलाव करने वाले विधेयक शामिल हैं। इसके अतिरिक्त सरकार उन विधेयकों को भी मानसून सत्र में लाने का रास्ता निकालने की तैयारी में है जिन्हें लोकसभा में तो पेश किया जा चुका है, लेकिन अभी तक विभिन्न विभागों से संबंधित संसद की स्थायी समितियों के पास विचारार्थ नहीं भेजा जा सका है। सरकार की कोशिश है कि इन विधेयकों पर भी इसी सत्र में चर्चा कराकर इन्हें पारित करा लिया जाए। इनमें उपभोक्ता संरक्षण कानून, इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड और फ्यूजिटिव इकोनॉमिक ओफेंडर्स बिल शामिल हैं। इन्सॉल्वेंसी एंड बैंकरप्सी कोड और फ्यूजिटिव इकोनॉमिक ओफेंडर्स कानून को सरकार अध्यादेश के जरिए लागू कर चुकी है। अब इन्हें इस सत्र में पारित कराना सरकार की प्राथमिकता पर रहेगा।