लखनऊ

लोकायुक्त का टाइप-6 आवास खाली कराने पर रोक

 

लखनऊ : उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच ने शुक्रवार को सेवानिवृत्त लोकायुक्त जस्टिस संजय मिश्रा का गौतमपल्ली इलाके में आवंटित टाइप 6 श्रेणी का बंगला खाली करवाकर बटलर पैलेस में टाइप-5 श्रेणी का आवास आवंटित करने से संबंधित राज्य संपत्ति विभाग के आदेश को रद कर दिया। विभाग ने यह आदेश 3 दिसंबर 2017 को जारी किया था। कोर्ट ने प्रदेश के लोकायुक्त की सेवा शर्तों को हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के बराबर माना है। वहीं लोकायुक्त जैसी संस्था के साथ हल्का व्यवहार करने पर कोर्ट ने योगी सरकार का कठघरे में खड़ा कर दिया है। कोर्ट ने मुख्यमंत्री से सवाल किया है कि क्या ऐसा करना लोकायुक्त जैसे ऑफिस को छोटा व अपमानित करने का काम नहीं है। कोर्ट ने यह भी सवाल किया कि क्या राज्य सरकार का यह काम गैरजिम्मेदाराना व छिछले स्तर का नहीं है। कोर्ट ने आगे भी सवाल किया कि क्या कहीं ऐसा इसलिए तो नहीं किया गया कि लोकायुक्त का काम अति संवेदनशील प्रकृति का होता है। कोर्ट ने मुख्य सचिव को फैसले की कॉपी प्रदेश के सबसे बड़े मुखिया यानी मुख्यमंत्री के समक्ष रखने का निर्देश दिया है। कहा कि कोर्ट की ओर से उठाए गए सवालों पर मंथन कर स्वयं निर्णय लिया जाए कि सरकार ने क्या किया था। यह आदेश जस्टिस देवेंद्र कुमार अरोड़ा व जस्टिस राजन राय कि बेंच ने प्रदेश के लोकायुक्त (रिटायर्ड) जस्टिस संजय मिश्रा की ओर से दायर एक याचिका को मंजूर करते हुए पारित किया। जस्टिस मिश्रा ने राज्य सम्पत्ति विभाग के आदेश के चुनौती दी थी। उनकी ओर से वरिष्ठ वकील जे एन माथुर ने तर्क दिया कि लोकायुक्त अधिनियम व इसके तहत बने नियमों के तहत लोकायुक्त सेवाशर्तों के मामले में चीफ जस्टिस के बराबर होता है। लिहाजा वह टाइप 6 के सरकारी आवास का हकदार है। कोर्ट ने याचिका पर 20 नवंबर की अंतिम सुनवाई कर अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था। अपर महाधिवक्ता रमेश कुमार सिंह और उनके सहयेगी राकेश बाजपेयी ने राज्य सम्पत्ति विभाग का बचाव करते हुए दलीलें पेश की थीं। अपने आदेश में कोर्ट ने राज्य सम्पत्ति विभाग के प्रमुख सचिव एस पी गोयल को भी फटकार लगाई कि उन्होने बिना कानूनी पहलू देखे कैसे लोकायुक्त के आवंटित बंगले को खाली कराने के आदेश पर हस्ताक्षर कर दिए।

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