लोग बोले- तुम सर्वनाश कर दोगी, आज 2 लाख को दे रही हैं रोजगार
भोपाल, सौरभ खंडेलवाल। हो सकता है सुचि मुखर्जी आपके लिए नया नाम हो, लेकिन स्टार्टअप के लिए संघर्ष कर रहे युवाओं के लिए वह उम्मीद का प्रतीक बनती जा रही हैं, वजह है सफलता के लिए उनका संघर्ष के हर उस दौर से गुजर जाना, जिसमें कई लोग बीच रास्ते से मुड़ जाते हैं। नामी कंपनियों में काम कर चुकी सुचि ने जब भारत आकर एक स्टार्टअप शुरू करने की योजना साझा की, तो जवाब मिला ‘तुम सर्वनाश कर दोगी, इंग्लैंड जाकर अपनी नौकरी पर ध्यान दो।” लेकिन सुचि ने अपने फैसले को सही साबित कर दिखाया। आज वे 2 लाख महिलाओं को रोजगार दे रही हैं और कंपनी को करीब 180 करोड़ की फंडिंग मिल रही है।
शनिवार को एमएसएमई समिट में भाग लेने भोपाल आईं सुचि ने अपनी कहानी नवदुनिया को सुनाई। कैंब्रिज यूनीवर्सिटी से गे्रजुएशन और लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स से पोस्ट ग्रेजुएशन करने के बाद सुचि ने 2013 में ईबे, स्काइप जैसी कंपनियों में सीनियर पदों पर काम किया। सुचि कहती हैं कि इसके बाद मेरी इच्छा हुई कि भारत के आर्टिस्ट को बेहतर प्लेटफॉर्म दूं, जिससे वे अपने उत्पाद बेच सकें। मैं भारत आई और चार्टर्ड अकाउंटेंट से मिली।
सीए ने कह दिया कि आप वापस चले इंग्लैंड चले जाइए, यह आइडिया सफल नहीं हो सकता। जब मां को बिजनेस आइडिया बताया तो उन्होंने कहा कि लड़कियां उद्यमी नहीं बन सकती, लेकिन पति ने पूरा साथ दिया और दिल्ली आकर लाइमरोड की शुरुआत की।
अब चंदेरी की साड़ियां और मृगनयनी के उत्पाद बेचेंगी
सुचि मुखर्जी की ऑनलाइन शॉपिंग कंपनी लाइमरोड देशभर के वेंडर्स को प्लेटफॉर्म देती हैं। 2 लाख से ज्यादा महिलाएं इस वेबसाइट से जुड़ी हुई हैं। वे मोबाइल के जरिए भी इस पर अपने उत्पाद ऑनलाइन बेचती हैं। इन उत्पादों की ब्रांडिंग भी करती है। सुचि ने शनिवार को लघु उद्योग निगम के साथ एक एमओयू किया। जिसके तहत वह मृगनयनी के उत्पादों को ऑनलाइन बेचेंगी। इसके साथ ही चंदेरी और महेश्वर के बुनकरों के लिए वे डिजाइन
तैयारी करेंगी, ताकि मार्केट के ट्रेंड में वे सुचि मुखर्जी अपनी जगह बना सकें।