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वरुण गांधी बोले, ‘अगर मैं गांधी न होता तो इस मुकाम पर न होता’

varun-gandhi-561fb43129b89_exlstदस्तक टाइम्स/एजेंसी. लखनऊ: अगर मेरे नाम के आगे गांधी न होता तो मैं आज यहां न होता जहां हूं। नेहरू गांधी परिवार से जुड़े बीजेपी के फायरब्रांड नेता वरुण गांधी ने ये बात बृहस्पतिवार को राजधानी में आयोजित एक राष्ट्रीय सेमिनार में बतौर मुख्य वक्ता कही।

यही नहीं इस मौके पर वरुण गांधी ने एक किस्सा सुनाते हुए कहा कि, उन्होंने शाहजहांपुर में एक बहुत गरीब युवक के लिए जब भाजपा से जिला पंचायत के लिए टिकट मांगा तो कहा गया है कि, हम तो उनको टिकट देंगे जिनके पास दो-दो फार्च्यूनर गाड़ियां होंगी।

इन्हीं बातों के जरिये वरुण गांधी ने सेमिनार में मौजूद रहे युवाओं को राजनीति की दुश्वारियां बताते हुए उनसे राजनीति में आने का आह्वान भी किया।

गोमती नगर विनम्रखंड स्थित लखनऊ पब्लिक स्कूल एंड कॉलेजेज के सभागार में उन्होंने जब युवाओं को राजनीति से जुड़ने की बातें कहीं तो अपनी जिंदगी और भाजपा से जुड़े कुछ कड़वे तथ्य भी उजागर किये।

उन्होंने कहा कि, राजनीति में आना भी एक बड़ा संघर्ष होता है। मैं गांधी हूं इसलिए मेरे लिये यहां होना काफी आसान रहा मगर अगर मैं वरुण सिंह, यादव, कश्यप या शुक्ला होता तो यहां तक पहुंचना मुश्किल हो जाता। मगर लोगों के काम आने से और उनसे लगातार संपर्क करने की तकनीक के जरिये हम राजनीति में भी बेहतर स्थिति तक पहुंच सकते हैं।

 

अपने एक समर्थक का किस्सा सुनाते हुए कहा कि, वह युवक उनके पास हरदोई और शाहजहांपुर के गांवों से दो युवक आये थे। उसमें हरदोई वाले ने कहा कि, उसको राजनीति में आना है। मगर वह गरीब था। तब मैंने उसको बताया कि, वह अपने क्षेत्र में जाये और इलाकाई लोगों से कहे कि, वह वरुण गांधी से जुड़ा हुआ है। वह उनकी जो भी परेशानी है, उसको दूर करेगा। जिसमें वह वरुण गांधी और उनके स्टाफ की मदद लेगा।

मगर हरदोई के युवक ने वरुण गांधी की इस सलाह पर अमल नहीं किया। दूसरी ओर, शाहजहांपुर वाले युवक ने ये बात मान ली। उसने ऐसा ही किया। कई बार वरुण गांधी को फोन किया। इसके साथ ही उनके स्टाफ के जरिये लोगों की समस्याएं सुलझाईं। करीब आठ महीने बाद वह वापस आया और उसने जिला पंचायत सदस्य का चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की। उसका जोश देख कर मैंने बीजेपी से उसके लिए टिकट मांगा तो पता चला कि वह उस प्रत्यशी को टिकट दिया गया, जिसके पास दो-दो फार्च्यूनर थीं।

वह निर्दलीय लड़ा और चुनाव जीत गया। इससे पता चलता है कि, अगर आप लोगों से संपर्क रखें और काम करें तो जीत पक्की है। आपको रुपये की भी जरूरत नहीं पड़ेगी।

अपना पिछला करीब 70 लाख रुपये वेतन भी किसानों को दूंगा
प्रदेश में किसानों की केवल 50 हजार और 1.50 लाख रुपये कर्ज की वजह से आत्महत्या हो रही है। मैंने अपना इस पूरे कार्यकाल का वेतन किसानों के नाम कर दिया है। जबकि, इसके बाद में मैं जो पिछले टर्म का करीब 70 लाख रुपये वेतन पड़ा है, वह भी किसानों को दे दूंगा। ताकि, कम से कम आत्महत्या कर रहे किसानों के लिए मेरी भी मदद हो सके।

 

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