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वर्ल्ड कप के मैन ऑफ द टूर्नामेंट रहे भारतीय क्रिकेटर को नौकरी का इंतजार
नई दिल्ली। विश्वकप में मैन ऑफ द मैच और मैन ऑफ द टूर्नामेंट का पुरस्कार जीतने वाला कोई भी खिलाड़ी लाखों-करोड़ों में खेलने लगता है लेकिन ब्लाइंड विश्वकप के मैन ऑफ द टूर्नामेंट रहे गुजरात के केतन पटेल को अब तक नौकरी का इंतजार है।
गुजरात के 30 वर्षीय केतन पटेल पूरी तरह नेत्रहीन हैं और ब्लाइंड क्रिकेट टीम में पूरी तरह नेत्रहीन खिलाड़ियों के बी-1 वर्ग में आते हैं। तीन विश्वकप खेल चुके केतन गत वर्ष दक्षिण अफ्रीका में हुये ब्लाइंड विश्वकप में भारत की खिताबी जीत में मैन ऑफ द टूर्नामेंट रहे थे।
भारत ने फाइनल में पाकिस्तान के 389 रन के विशाल स्कोर का सफलतापूर्वक पीछा कर लिया था। केतन सेामवार को दिल्ली में संपन्न हुये 22वें ब्लाइंड राष्ट्रीय क्रिकेट टूर्नामेंट में बी-1 वर्ग में मैन ऑफ द सीरीज रहे थे।
गुजरात ने आंध्र को हराकर यह राष्ट्रीय टूर्नामेंट जीता था। केतन ने इस टूर्नामेंट में छह विकेट लेने के अलावा 142 रन भी बनाये थे। गुजरात के इस खिलाड़ी को इस बात का बेहद अफसोस है कि उनके प्रदर्शन को कहीं से भी तवज्जो नहीं मिली।
उन्होंने कहा, ”मैं तीन विश्वकप खेल चुका हूं। गत वर्ष के विश्वकप में मैन ऑफ द टूर्नामेंट भी रहा था। मैंने गुजरात सरकार से नौकरी के लिये आग्रह किया था लेकिन अब तक कोई सुनवाई नहीं हो पायी है।”
केतन ने साथ ही कहा कि पिछले विश्वकप के बाद गुजरात सरकार ने दो-दो लाख रुपये देने की भी घोषणा की थी लेकिन वह पुरस्कार भी अब तक नहीं मिल पाया है। 12वीं पास केतन को इस बात का इंतजार है कि राज्य सरकार उन्हें कम से कम कोई नौकरी दे ताकि उनका खर्चा चल सके।
दैनिक खर्चों को पूरा करने के सवाल केतन के साथ खड़े क्रिकेट एसोसिएशन फार द ब्लाइंड (गुजरात) के अध्यक्ष विनोद पटेल ने कहा, ”यह अफसोस की बात है कि सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिल रही है लेकिन हमारा एनजीओ है जिससे हम इन खिलाड़यिों की 2010 से मदद करते आ रहे हैं।”
बी-3 वर्ग में मैन ऑफ द सीरीज बने हरियाणा के दीपक मलिक ने कहा, ”हम भी देश के लिये खेलते हैं और सामान्य खिलाड़ी भी देश के लिये खेलते हैं लेकिन हमें जो सहयोग मिलना चाहिये वह हमें नहीं मिल पा रहा है। हमारी बीसीसीआई और कॉरपोरेट से अपील है कि वे ब्लांइड क्रिकेटरों को अपना सहयोग दें। मैं कई बार बड़े क्रिकेटरों से मिला हूं और उनसे आग्रह भी किया है हमारे लिये कोई लीग कराएं लेकिन बात सिर्फ आश्वासन तक रह जाती है।”
ब्लाइंड क्रिकेटरों की स्थिति का यह आलम है कि टूर्नामेंट जीतने वाली गुजरात टीम को मात्र 50 हजार रुपये की पुरस्कार राशि मिली जबकि उप विजेता आंध्र को 30 हजार रुपये दिये गये। शेष छह टीमों को 10-10 हजार रुपये मिले। केतन ने सवाल उठाया कि आप बताइये कि किसी टीम का 10 हजार रुपये में क्या होगा।