पटना: बिहार में शराबबंदी के खिलाफ इसे बेचने वाले लोग सड़कों पर उतर आए हैं। इन लोगों की दलील है कि सरकार पहले उनके रोजगार की व्यवस्था करे, उसके बाद शराब पर रोक लगाए। सरकार ने देसी शराब को पूरी तरह से बंद करने और अंग्रेजी शराब खुद बेचने का फैसला किया है। पटना की सड़कों पर धरने पर बैठे शराब विक्रेता तीन महीने के बाद शराब नहीं बेच पाएंगे।
पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगी देसी शराब
मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने घोषणा की है कि राज्य में जहां देसी शराब पूरी तरह से प्रतिबंधित रहेगी, वहीं विदेशी शराब राज्य सरकार खुद बेचेगी। लेकिन विपक्षी दलों का आरोप है कि नीतीश कुमार चुनाव से पहले किए अपने वादे से पलट रहे हैं। शराब विक्रेताओं के रोजगार छीने जाने के आरोप पर नीतीश कुमार ने कहा कि वे लोग अपनी उसी दुकान में शुद्ध दूध के उत्पाद बेच सकते हैं। इस बीच कुछ विक्रेता अब अदालत का दरवाजा खटखटाने का मन बना रहे हैं।
एक अप्रैल 2016 से लागू होना था फैसला
गौरतलब है कि कुछ दिनों पहले ही नीतीश ने राज्य में अगले साल से शराबबंदी लागू करने की घोषणा की थी। राज्य सरकार का यह फैसला एक अप्रैल 2016 से लागू होना था। नीतीश ने चुनाव के दौरान राज्य में शराबबंदी लागू करने का वादा किया था। देश में इस समय गुजरात और नगालैंड में शराबबंदी लागू है। आमतौर पर राज्य की सरकारें अपने यहां शराबबंदी लागू करने से इसलिए परहेज करती हैं क्योंकि इससे उन्हें राजस्व का बड़ा हिस्सा गंवाना पड़ता है।