प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को कोलंबो और वाराणसी के बीच डायरेक्ट फ्लाइट की घोषणा की। मोदी ने कहा कि इससे मेरे तमिल भाई और बहन काशी विश्वनाथ के दर्शन आसानी से कर सकेंगे। वहीं वाराणसी से 10 किमी की दूरी पर बौद्ध तीर्थयात्रा स्थल सारनाथ जाना भी आसान होगा। यह सेवा अगस्त में शुरू होगी। जानकारों का मानना है कि भारत की इस उड़ान के पीछे कई रणनीति है। सबसे बड़ी कूटनीति ये है कि श्रीलंका में चीन के बढ़ते प्रभाव को रोकने का। पीएम ने इसी रणनीति पर काम करते हुए कोलंबो से वाराणसी के बीच डायरेक्ट फ्लाइट की घोषणा की।
टाइम्स ऑफ इंडिया ने विशेषज्ञों से बातचीत के हवाले से लिखा है कि चीन जिस तरह बड़ी आर्थिक मदद के जरिए श्रीलंका को लुभाने की कोशिश में लगा हुआ है, उसके प्रभाव को बेअसर करने के लिए मोदी ने दोनों देशों की साझा सांस्कृतिक विरासत को इस्तेमाल करने का फैसला किया है। जिस तरीके से चीन श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह को डेवलपेंट के लिए आर्थिक मदद की है, भारत की इस पहले के बाद उसे झटका लग सकता है।
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वैसे, सिरीसेना के सत्ता में आने के बाद भारत और श्रीलंका के बीच रिश्ते सुधरे हैं। वहां की पिछली महिंद्रा राजपक्षे की सरकार चीन की तरफ कुछ अधिक ही प्रभाव में आ गया था।
वाराणसी में महाबोधि सोसायटी के जॉइंट सेक्रटरी और सारनाथ यूनिट के इन्चार्ज मेधांकर ठेरो ने कहा, ‘अब भारत वाराणसी से कोलंबो के लिए फ्लाइट शुरू कर रहा है, जो श्रीलंकाई बौद्ध अनुयायियों को वक्त बर्बाद किए बिना सारनाथ पहुंचने की सहूलियत देगा। इसके अलावा, हिंदू श्रद्धालुओं को भी श्रीलंका में रामायण युग से जुड़े स्थानों पर जाने की सुविधा मिलेगी।’