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वाष्प तकनीक से वापस आएगी संसद भवन की चमक

नई दिल्ली : संसद भवन की इमारत को उसके मूल रूप में वापस लाने का काम शुरू किया है। संसद भवन की दीवारों की खोई चमक वापस लाने के लिए वाष्प तकनीक समेत विभिन्न वैज्ञानिक विधियों का इस्तेमाल किया जा रहा है। इससे इस ऐतिहासिक इमारत के पत्थरों एवं उस पर बनाई गई कलाकृतियों को बगैर क्षति पहुंचाए उसका पुराना स्वरूप बहाल करने में मदद मिलेगी। संसद भवन के संरक्षण की पहल उस समय शुरू की गई है, जब उसकी बाहरी दीवारों पर लगे पत्थरों पर प्रदूषण और धूप का प्रभाव स्पष्ट रूप से दिखने लगा। संसद भवन का निर्माण वर्ष 1921 में शुरू किया गया था और यह साल 1927 में बनकर तैयार हुआ था। इंटेक के दिल्ली चैप्टर के एक अधिकारी ने संसद भवन स्थापत्य की दृष्टि से सबसे खूबसूरत भवनों में शामिल है । इस इमारत का निर्माण वृत्ताकार पथ के रूप में किया गया है। यहां मध्य से तीन धूरियां निकलती हैं ।

संसद भवन और उसके परिसर में संसद भवन, इमारत का स्वागत कार्यालय, संसदीय ज्ञानपीठ, संसदीय सौंध, विस्तारित लॉन, तालाब और फव्वारे शामिल हैं । उन्होंने कहा कि इंटेक का दिल्ली चैप्टर खुले स्थान समेत संसदीय परिसम्पत्तियों के संरक्षण का कार्य कर रहा है। इस कार्य में सम्पूर्ण ढांचे के मूल रूप को बहाल करने की समग्र योजना पर काम किया जा रहा है । विभिन्न कला संरक्षकों की भी सलाह ली जा रही है। इसके तहत वैज्ञानिक तरीके से भवन के संरक्षण के साथ फर्नीचर, भवन में उकेरी गई कलाकृतियों, पेंटिंग एवं अन्य वस्तुओं के रख रखाव का कार्य भी शामिल है। संसद भवन की सफाई के लिएवाष्प को विशेष तरह के साबुन की मदद से निर्धारित दबाव से पत्थरों पर डाला जाता है। पत्थरों की धुलाई के साथ खास तरह की कोटिंग भी होती है। संरक्षण कार्य के दौरान विशेष ध्यान रखा जा रहा है।

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