विकास के लिए नेपाल को 100 करोड़ रुपये देगा भारत, प्रधानमंत्री का एलान
‘नेपाल के बिना हमारे धाम अधूरे, नेपाल के बिना हमारे राम अधूरे’
नई दिल्ली : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिनों की नेपाल यात्रा पर पहुंचे नरेंद्र मोदी को गार्ड ऑफ़ ऑनर दिया गया, यहां से प्रधानमंत्री सीता मंदिर में पूजा की। नेपाल रामायण सर्किट और जनकपुर-अयोध्या बस सेवा को हरी झंडी दिखाई, इसके बाद प्रधानमंत्री बारहबीघा ग्राउंड में नेपाल की जनता को संबोधित कर रहे हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने जनकपुर में आयोजित नागरिक अभिनंदन समारोह में कहा, भारत की पड़ोसी प्रथम नीति में नेपाल सबसे पहले आता है। मोदी ने कहा कि हम एक नए भारत का निर्माण कर रहे हैं, जहां गरीब-से-गरीब व्यक्ति को भी प्रगति के समान अवसर मिले, जहां भेदभाव-ऊंच-नीच न हो, सबका सम्मान हो, जहां बच्चों को पढ़ाई, युवाओं को कमाई और बुजुर्गों को दवाई मिले। उन्होंने कहा कि विकास की पहली शर्त होती है लोकतंत्र। मुझे खुशी है कि लोकतांत्रिक प्रणाली को नेपाल के लोग मजबूती दे रहे हैं। हाल में ही आपके यहां चुनाव हुए, आपने एक नई सरकार चुनी है, अपनी आशांओं आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए आपने जनादेश दिया है। पीएम मोदी ने कहा कि जनक की नगरी, सीता माता के कारण स्त्री- चेतना की गंगोत्री बनी है, सीता माता यानि त्याग, तपस्या, समर्पण और संघर्ष की मूर्ति। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, भारत नेपाल संबंध किसी परिभाषा से नहीं बल्कि भाषा से बंधे हैं। ये भाषा आस्था की है, ये भाषा अपनेपन की है, ये भाषा रोटी की है और ये भाषा बेटी की है। पीएम मोदी ने कहा कि ये बंधन है राम-सीता का, बुद्ध का, महावीर का। यही बंधन रामेश्वरम में रहने वाले को खींच कर पशुपतिनाथ ले आता है, यही बंधन लुम्बिनी में रहने वाले को बोधगया ले जाता है और यही बंधन, यही आस्था, यही स्नेह, आज मुझे जनकपुर ले आया है। भारत और नेपाल दो देश हैं, लेकिन हमारी मित्रता आज की नहीं त्रेता युग की है, राजा जनक और राजा दशरथ ने सिर्फ़ जनकपुर और अयोध्या ही नहीं, भारत और नेपाल को भी मित्रता और साझेदारी के बंधन में बांध दिया था। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि 2014 में जब मैं प्रधानमंत्री के तौर पर पहली बार नेपाल आया था, तो संविधान सभा में कहा था कि जल्द ही जनकपुर आउंगा, मैं आप सबसे क्षमा चाहता हूं, मुझे आने में थोड़ी देर हो गई, आज जानकी मंदिर में दर्शन कर, मेरी बहुत सालों की मनोकामना पूरी हुई।