लखनऊ. समाजवादी दंगल नाम की जिस फिल्म का ट्रेलर बीते 3 नवम्बर को देखा गया था 31 दिसंबर को उसकी पूरी फिल्म देखने को मिल गयी. समाजवादी दंगल में 3 नवम्बर को अखिलेश यादव ने जो दम दिखाया था उससे ज्यादा दम 31 दिसंबर को देखने को मिला. लखनऊ के विक्रमादित्य मार्ग स्थित समाजवादी पार्टी के कार्यालय पर मुलायम सिंह यादव द्वारा बुलाई गयी बैठक में जिस वक्त सिर्फ 22 विधायक पहुंचे थे उसी वक्त कालिदास मार्ग पर स्थित मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के आवास पर लगभग 190 विधायक और 38 परिषद् सदस्य पहुंचे हुए थे. इन आंकड़ो ने एक बार फिर उस कहावत को सही साबित कर दिया कि “ लोग हमेशा उगते सूरज को सलाम करते हैं.”
लेकिन इस बात की संभावनाएं बहुत कम है, राजनीति के जानकार बताते हैं कि इस पूरे ड्रामे के बाद अखिलेश यादव ही समाजवादी पार्टी के मुखिया के तौर पर मान लिए जायेंगे और समाजवादी पार्टी भी कायम रहेगी.
लेकिन इस पूरे घटनाक्रम के बीच सबसे ज्यादा पराजित शिवपाल सिंह यादव हुए हैं. मुलायम सिंह के राजनितिक जीवन के एक अहम् धुरी बने रहे शिवपाल पहली बार अपनी महत्वाकांक्षा ले कर सामने आये मगर उसका अंत प्रतिकूल रहा. शिवपाल यादव के सामने अब एक बड़ा संकट खड़ा हो गया है.
अब इस खेल में आजम खान अपनी भूमिका तलाशने में लगे हैं. ऐसे वक्त में हर पुराना नेता खुद को प्रासंगिक बनाये रखना चाहता है मगर अखिलेश के खिलाफ सिर्फ बेनी प्रसाद वर्मा ही बोले हैं. आजम खान शनिवार की सुबह मुलायम सिंह से मिलने 5 विक्रमादित्य मार्ग पर पहुंचे और दोनों के बीच 1 घंटे बातचीत हुयी. इसके बाद वे अखिलेश यादव से मिलने मुख्यमंत्री आवास पहुँच गए. फिर अखिलेश को ले कर मुलायम सिंह से मिलने निकल गए. आजम ने पार्टी के मुस्लिम विधायको को दोपहर बाद अपने घर बुलाया है. यदि ये विधायक वहां पहुँचते हैं तो आजम खान एक भावनात्मक अपील करेंगे और पार्टी के इस हलचल को ख़त्म करने की शुरुआत हो जाएगी.
उधर 1 जनवरी को अखिलेश खेमे द्वारा बुलाई गयी राष्ट्रीय प्रतिनिधि सभा का स्थल बदल दिया गया है. पहले लोहिया विश्वविद्यालय में होने वाली यह बैठक अब जनेश्वर मिश्र पार्क में सम्मलेन का रूप लेगी. इसका अर्थ यह है कि भारी भीड़ के साथ अखिलेश अपनी ताकत का मुजाहरा करेंगे.
उम्मीद है कि नए साल का पहला दिन इस पूरी कवायद को ख़त्म कर समाजवादी राजनीति में नए साल का आगाज भी करेंगा.