अद्धयात्म

विचित्र रिवाज: यहां जमीन में नहीं पेड़ पर दफनाए जाते हैं मृत बच्चे

दस्तक टाइम्स एजेन्सी/ phpThumb_generated_thumbnail (68)जकार्ता। कहा जाता है कि मृत्यु की शुरुआत उसी दिन हो जाती है, जब मनुष्य जन्म लेता है। अंतिम संस्कारों से संबंधित कई रिवाज दुनिया में प्रचलित हैं। इनमें से कुछ हमें विचित्र लग सकते हैं क्योंकि प्राय: ऐसी रस्में दुनिया में बहुत कम ही दिखाई देती हैं। 
 
इंडोनेशिया के एक इलाके में प्रचलित रस्म आपको विचित्र लग सकती है क्योंकि यहां मृत बच्चे को जमीन के बजाय पेड़ के तने में दफनाया जाता है। इंडोनेशिया के ताना तरोजा इलाके में जब किसी बच्चे की मृत्यु हो जाती है तो उसे तने में ही दफनाने का रिवाज है।
 
इन लोगों की मान्यता है कि बच्चे प्रकृति की देन हैं। अगर वे जीवन की पूर्णता को प्राप्त नहीं करते यानी उनकी मृत्यु हो जाती है तो इन्हें पुन: प्रकृति को ही समर्पित कर देना चाहिए।
 
मां से जुदा होकर प्रकृति की गोद में
इस प्रकार ये मृत बच्चों को प्रकृति की गोद में समर्पित कर देते हैं। ये लोग प्रकृति और मानव का मां व संतान जैसा रिश्ता समझते हैं। जो मृत देह पेड़ को समर्पित कर दी जाती है, धीरे-धीरे वह उसी में लीन हो जाती है। 
 
यह पहाड़ी इलाका है और यहां पेड़ों की काफी तादाद है। यहां के कई पेड़ों पर ऐसे निशान दिखाई देते हैं जिसमें किसी मृत बच्चे की यादें छुपी होती हैं। इसके लिए पेड़ के तने में बड़े छेद कर दिए जाते हैं। जब किसी बच्चे की मौत हो जाती है तो उसे इन्हीं छेदों में दफना दिया जाता है। इसके पश्चात उसे विभिन्न रस्मों का पालन करते हुए ढंक दिया जाता है।
 
हालांकि इस संबंध में भी एक खास नियम का पालन किया जाता है। पेड़ में सिर्फ वे ही मृत बच्चे दफनाए जाते हैं जिनके दांत नहीं आए थे। जिन बच्चों के दांत आना प्रारंभ हो जाते हैं और किसी कारण से उनकी मौत हो जाती है तो उन्हें पेड़ पर दफनाया जाता है। लोगों का ऐसा भी मानना है कि इससे वे बच्चे को अपने करीब महसूस करते हैं।
 

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