विदेशी निवेशकों की पहली पसंद बना दिल्ली-एनसीआर
वहीं, जानकारों का कहना है कि विदेशी प्रवाह में गिरावट से देश के भुगतान संतुलन पर दबाव पड़ सकता है। रुपये के मूल्य पर भी असर पड़ सकता है। आंकड़ों के मुताबिक, इस दौरान सबसे ज्यादा एफडीआई सेवा क्षेत्र, कंप्यूटर सॉफ्टवेयर एवं हार्डवेयर, टेलीकम्युनिकेशंस, ट्रेडिंग, रसायन और ऑटोमोबाइल क्षेत्र में आया। ये आंकड़े कंपनियों द्वारा आरबीआई के क्षेत्रीय कार्यालयों को दी गई जानकारी पर आधारित है। यह जरूरी नहीं है कि संबंधित क्षेत्र में निवेश किया ही गया हो।
दूसरे नंबर पर खिसका महाराष्ट्र
आंकड़ों के मुताबिक, 2018-19 के पहले नौ महीने में दिल्ली-एनसीआर में 8.3 अरब डॉलर का एफडीआई आया। वहीं, एफडीआई के मामले में शीर्ष पर रहने वाला महाराष्ट्र 8 अरब डॉलर एफडीआई के साथ दूसरे नंबर पर है। वहीं, इस दौरान बंगलूरू में 4.44 अरब डॉलर, चेन्नई में 2 अरब डॉलर, अहमदाबाद में 1.67 अरब डॉलर और कानपुर में 2.6 करोड़ डॉलर का एफडीआई आया।
सिंगापुर सबसे बड़ा सोर्स
2018-19 के अप्रैल से दिसंबर के दौरान सिंगापुर से सबसे ज्यादा 12.97 अरब डॉलर का एफडीआई आया। इसके बाद मॉरीशस से 6 अरब डॉलर, नीदरलैंड्स से 2.95 अरब डॉलर, जापान से 2.21 अरब डॉलर, अमेरिका से 2.34 अरब डॉलर और ब्रिटेन से 1.05 अरब डॉलर का एफडीआई आया।
विदेशी बाजारों से कर्ज जुटाने में 45 फीसदी की गिरावट
भारतीय कंपनियों की विदेशी बाजारों से जुटाई गई रकम जनवरी 2019 में एक साल पहले की समान अवधि के मुकाबले 45 फीसदी गिरकर 2.42 अरब डॉलर रह गई। आरबीआई के आंकड़ों के मुताबिक, घरेलू कंपनियों ने जनवरी 2018 में विदेश से 5.40 अरब डॉलर का कर्ज जुटाया था। इसके अलावा जनवरी में जुटाई गई कुल राशि में 2.27 अरब डॉलर बाह्य वाणिज्यिक कर्ज (ईसीबी) के जरिए जुटाया गया। जनवरी 2019 में ईसीबी के अलावा 15 करोड़ रुपये की राशि मंजूरी मार्ग से विदेशी बाजारों से जुटाई गई।
हालांकि, जनवरी 2018 और जनवरी 2019 दोनों महीने में रुपये में अंकित बॉन्ड जारी नहीं किए गए। विदेशी बाजारों से पूंजी जुटाने वाली प्रमुख कंपनियों में इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड ने 90 करोड़ डॉलर, भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन ने 50 करोड़ डॉलर, हिंदुस्तान पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लिमिटेड ने 20 करोड़ डॉलर, पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ने 22.85 करोड़ डॉलर और रिलायंस होम फाइनेंस ने 3.55 करोड़ डॉलर विदेशी बाजारों से जुटाए हैं।