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विदेश सेवा की नौकरी छोड़कर राजनीति में आई थीं मीरा कुमार

लोकसभा की पूर्व अध्यक्ष और कांग्रेस का प्रमुख दलित चेहरा मीरा कुमार विपक्ष की राष्ट्रपति पद की उम्‍मीदवार होंगी। कांग्रेस अध्यक्षा सोनिया गांधी की अध्यक्षता में 17 दलों की बैठक में इस फैसले पर मुहर लगी। बिहार के सासाराम से दो बार लोकसभा सदस्य रही मीरा कुमार भी एनडीए के उम्‍मीदवार रामनाथ कोविंद की तरह लो प्रोफाइल ही हैं। उनके पिता बाबू जगजीवन राव बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और देश के उप प्रधानमंत्री रहे हैं। जानिए उनके बारे में पांच खास बातें। राजनीति में आने से पहले थीं विदेश सेवा में कम लोग ही जानते होंगे कि राजनीति में आने से पहले मीरा कुमार देश की उच्च सिविल सेवा यानि भारतीय विदेश सेवा में रहीं थीं। इंग्लैंड, स्पेन और मॉरीशस के साथ ही वह कई अन्य देशों में भारत की उच्चायुक्त रही हैं।

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विदेश सेवा की नौकरी छोड़कर राजनीति में आई थीं मीरा कुमारयूपी के बिजनौर से पहली बार संसद पहुंची 
मीरा कुमार यूं तो बिहार के सासाराम से लोकसभा चुनाव लड़ती रही हैं लेकिन राजनीति की शुरूआत उन्होंने यूपी के बिजनौर से लोकसभा सांसद बनकर की थी। 2004 और 2009 में वह अपने पिता की परंपरागत सीट सासाराम से लोकसभा पहुंची। दो बार वह दिल्‍ली की करोलबाग सीट से भी सांसद चुनी गईं। हालांकि पिछले लोकसभा चुनाव में मोदी लहर के बीच सासाराम सीट से ही छेदी पासवान से हार गई थीं। 

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पहले चुनाव में ही दी थी पासवान-मायावती को मात
खास बात ये है कि 1985 में बिजनौर की सीट पर उपचुनाव हुआ था। जिसमें कांग्रेस ने मीरा कुमार को अपना प्रत्याशी बनाया था। अपने पहले ही चुनाव में मीरा कुमार ने तब के बड़े दलित नेता रामविलास पासवान और बसपा उम्‍मीदवार मायावती को बड़े अंतर से हराया ‌था। 

लोकसभा की पहली महिला और दूसरी दलित स्पीकर
मीरा कुमार पांच बार सांसद रह चुकी हैं। यूपीए 2 के शासनकाल में मीरा कुमार लोकसभा की पहली महिला स्पीकर चुनी गईं। जीएमसी बालयोगी के बाद वह दूसरी दलित स्पीकर थीं। इससे पहले वह यूपीए 1 सरकार में सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्री रह चुकी थीं। लोकसभा की कई कमेटियों में भी वह सदस्य रहीं। 

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