विधानसभा चुनाव में अब राजस्थान में चुनौतियों से जूझेंगे अमित शाह
अमित शाह ने जब से भाजपा अध्यक्ष की कमान संभाली है, चुनौतियां लगातार सामने खड़ी हैं। यह बात अलग है कि कभी भी शाह ने चुनौतियों के आगे घुटना नहीं टेका। कर्नाटक विधानसभा चुनाव में पार्टी के पक्ष में भरपूर हवा बनाने के बाद शाह के सामने ताजा चुनौती राजस्थान की है। राजस्थान भाजपा को उसका नेता चाहिए। अशोक परनामी को अध्यक्ष पद से इस्तीफा दिए काफी समय बीत चुका है और पार्टी अब तक उनका उत्तराधिकारी घोषित नहीं कर पाई है।
राजस्थान में भाजपा का सांगठनिक बदलाव नाक का सवाल बनता जा रहा है। राज्य की मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे इसे अपने भविष्य के राजनीतिक अस्तित्व से जोड़कर देख रही हैं। वहीं वसुंधरा राजे के विरोधी पहले सांगठिनक बदलाव, पार्टी का नया प्रदेश अध्यक्ष और फिर राज्य में मुख्यमंत्री का नया चेहरा देखना चाहते हैं। पार्टी के वरिष्ठ नेता घनश्याम तिवाड़ी समेत कुछ दर्जन बड़े नेताओं की यही इच्छा है।
भाजपा अध्यक्ष शाह और प्रधानमंत्री मोदी से भी वसुंधरा राजे के समीकरण इस समय बहुत अच्छे नहीं चल रहे हैं। मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे का स्वभाव है कि वह राजनीति में हार नहीं मानती। विरोधियों के आगे झुकना गंवारा नहीं है और उन्हें संभलने का मौका भी नहीं देती। इसलिए वह राजस्थान में भाजपा का नया अध्यक्ष भी अपने मन माफिक ही चाहती हैं। पार्टी के अंदरुनी जानकारों का कहना है कि यह मसला लगातार पेंचीदा होता जा रहा है।
कर्नाटक चुनाव के बाद फैसला
पहले केन्द्रीय नेतृत्व 20 अप्रैल तक भाजपा के नए राजस्थान अध्यक्ष के चेहरे की घोषणा कर देने के पक्ष में था। बताते हैं वसुंधरा राजे के अड़ियल रुख ने उसके मंसूबे पर पानी फेर दिया। पिछले महीने भाजपा के संगठन मंत्री राम लाल और वसुंधरा राजे की भेंट के बाद एक प्रस्ताव यह भी आया कि राजस्थान में पार्टी का अध्यक्ष तय करने के मामले को कर्नाटक विधानसभा चुनाव के बाद निबटाया जाए।
वसुंधरा राजे की भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से भी भेंट हुई थी और शाह ने भी यही उचित समझा था। कुल मिलाकर वसुंधरा राजे की रणनीति जहां तक हो सके इस तरह के टकराव के सभी मामले को विधानसभा चुनाव के करीब आने तक टालना है। ताकि केन्द्रीय नेतृत्व के पास कम से कम विकल्प रह जाएं। जयपुर के सूत्र इसी की पुष्टि करते हैं।
क्या होगा
कुछ समय पहले तक मध्य प्रदेश (म.प्र.), राजस्थान, छत्तीसगढ़ में पार्टी का नेतृत्व, मुख्य चेहरे में बदलाव तथा नए चेहरे पर दांव तक के कयास लगाए जा रहे थे। अब स्थिति इस तरह की नहीं है। इसका एक बड़ा श्रेय वसुंधरा राजे और म.प्र. के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ में मजबूत पैठ को जाता है।
भाजपा के अंदरुनी जानकारों के अनुसार तीनों ही राज्यों में प्रदेश संगठन के नेतृत्व में बदलाव होगा, लेकिन मुख्यमंत्री के चेहरे फिलहाल वही रहेंगे। राजस्थान में वसुंधरा राजे ही भावी मुख्यमंत्री का चेहरा होंगी। इसी तरह से शिवराज सिंह चौहान और रमन सिंह के चेहरे पर भाजपा म.प्र. और छत्तीसगढ़ विधान सभा चुनाव में उतरेगी। छत्तीसगढ़ और म.प्र. में भाजपा लगातार राज्य विधानसभा चुनाव जीतती रही है। जबकि राजस्थान में पिछले कई बार से एक बार कांग्रेस तो एक बार भाजपा सत्ता में आ रही है।