अन्तर्राष्ट्रीय

विप्रो में साथी कहते थे बिच, पूर्व कर्मचारी ने जीता केस

एजेंसी/ wiproemployee_05_05_2016लंदन। श्रेया उकिल ने दो साल की लड़ाई के बाद आखिरकार विप्रो मैनेजमेंट के खिलाफ केस जीत लिया है। उसने साल 2014 उसने लैंगिग भेदभाव, मौखिक दुरुपयोग और अनुचित बर्खास्‍तगी का आरोप लगाते हुए कंपनी के खिलाफ केस किया था।

एक समाचार चैनल में दिखाई गई खबर के अनुसार, पिछले महीने शहर के रोजगार ट्रिब्‍यूनल ने श्रेया के पक्ष में फैसला सुनाया।

इसमें कहा गया कि विप्रो में कुछ सीनियर लीडरशिप ने पी‍ड़ि‍ता के साथ लैंगिग आधार पर भेदभाव किया। एक ही पोस्ट पर काम करने के बाद उसे दूसरे कर्मचारियों की तुलना में कम सैलरी दी जाती है।

शरीर और कपड़ों को लेकर भद्दे कमेंट किए जाते। ऑफिस के कुछ साथी ‘श्रिल’, ‘शैलो’ और ‘बिच’ कहकर बुलाते थे। इसके चलते पीड़िता ने कंपनी से 10 करोड़ हर्जाना देने की मांग की थी। उधर, विप्रो का कहना है कि कोर्ट ने कंपनी के पक्ष में फैसला दिया है। कोर्ट ने कंपनी के उस डिसीजन को बरकरार रखा है, जिसमें उसे नौकरी से निकाला गया था।

2014 तक विप्रो के यूरोप सेल्स डिपार्टमेंट में हेड रहीं श्रेया ने दावा किया है कि ट्रिब्यूनल ने पाया कि विप्रो के शीर्ष अधिकारियों ने उसे परेशान किया। साथ ही जेंडर के आधार पर भेदभाव किया। वहीं, उसे कंपनी के दूसरे कर्मचारियों के समान सैलरी नहीं दी।

इसके पहले श्रेया बेंगलुरू में काम करती थीं। 2010 में उनका तबादला लंदन में कर दिया गया था। 2014 तक वह कंपनी में 10 साल तक सर्विस दे चुकी थीं।

 

Related Articles

Back to top button