पटना : बिहार के मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौन उत्पीडऩ कांड के विलेन ब्रजेश ठाकुर की करतूतों और उसकी काली कमाई की जांच सीबीआइ ने शुरू कर दी है। ब्रजेश ने मुजफ्फरपुर और पटना से लेकर दिल्ली तक अपना दायरा फैला रखा है। उसने पिछले पांच वर्षों में करोड़ों की चल-अचल संपत्ति अर्जित की है। उसके तार शासन-प्रशासन में गहरे धंसे मिले हैं। मुजफ्फरपुर पुलिस ने अपनी सुपरविजन रिपोर्ट में ब्रजेश की संपत्ति व उसके संपर्कों की चर्चा है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि ब्रजेश ठाकुर के फर्जी एनजीओ में उसके सगे-संबंधियों को ही वेतनभोगी कर्मचारी बना रखा था। उसका यह धंधा सिर्फ मुजफ्फरपुर बालिका गृह और महिला आश्रय गृह में ही नहीं, समस्तीपुर के वृद्धाश्रम में भी कायम था। उसने फर्जी नामों से कई बैंक खाते भी खोल रखे हैं। सुपरविजन रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि उसने एनजीओ के नाम से करोड़ों रुपये बनाए हैं। इससे न केवल मुजफ्फरपुर में, बल्कि पटना, दिल्ली, समस्तीपुर दरभंगा और बेतिया में भी करोड़ों की अचल संपत्ति अर्जित की है।
सीबीआइ के हाथ लगी इस सुपरविजन रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि उसकी इस काली कमाई में न केवल विभन्न महकमो के आला अधिकारी बल्कि कई बैंकर्स भी शामिल हैं।ब्रजेश ठाकुर का संपर्क शासन में भी गहरा था। पत्रकार होने के नाते उसने अपने संपर्कों का भरपूर फायदा उठाया। अपने एनजीओ संकल्प सेवा एवं विकास समिति के माध्यम से समाज कल्याण विभाग के अलावा स्वास्थ्य विभाग से भी करोड़ों रुपये का आवंटन लेता रहा। इसके अलावा वह अपने अखबार के लिए सूचना एवं जनसंपर्क विभाग से भी सरकारी विज्ञापन लेता रहा। उसके संपर्क समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा तक रहे हैं। मंत्री व उनके पति से इस साल ब्रजेश की 17 बार बातचीत इस संपर्क का बड़ा प्रमाण है। हालांकि, मंत्री मंजू वर्मा इसे सामाजिक संपर्क बताते हुए किसी घोटाला या साजिश के आरोप को खारिज करती हैं। ब्रजेश के संपर्क सत्ता प्रतिष्ठान में और भी गहरे थे। उसके व्यक्तिगत आयोजनों में पक्ष-विपक्ष के बड़े-बड़े नेताओं को शिरकत करते देखा गया है। उधर, मुजफ्फरपुर बालिका गृह यौन उत्पीडऩ मामले की सीबीआइ जांच पर प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) भी अपनी निगाह बनाए हुए है। ईडी सूत्रों ने बताया कि उसकी जांच की प्रगति पर निगाह है। ईडी अभी सीबीआइ द्वारा इस मामले में चार्जशीट दायर करने का इंतजार कर रही है।