नई दिल्ली: राज्यपाल के पद को वैसे तो संवैधानिक दर्जा हासिल है, लेकिन हाल में कुछ प्रदेशों के राज्यपालों के ऐसे बयान आए हैं मानो ये बयान संवैधानिक पद पर काबिज किसी शख्स के नहीं बल्कि किसी राजनेता के हों। असम के राज्यपाल पीबी आचार्य का हिंदुस्तान को हिंदुओं के लिए बताने संबंधी कथित बयान इस सीरीज की नई कड़ी माना जा सकता है। यह पहली बार नहीं है जब किसी राज्यपाल ने इस तरह का बयान दिया है। इससे पहले त्रिपुरा के राज्यपाल तथागत रॉय के हिंदू और याकूब मेमन से संबंधित बयान पर भी विवाद खड़ा हो चुका है। रॉय ने अपने इसी साल सितंबर में अपने एक एक ट्वीट में कहा था कि वह सेक्युलर नहीं, हिंदू हैं। राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह और उत्तर प्रदेश के राज्यपाल राम नाइक भी अपने बयानों को लेकर विभिन्न राजनीतिक पार्टियों और नेताओं की आलोचना का शिकार बन चुके हैं।
राज्यपाल पद की इसलिए घट रही गरिमा
दरअसल, राज्यपाल पद के सृजन के समय अवधारणा यह थी कि राज्यों में इन पदों पर किसी बुद्धिजीवी, कलाकार, साहित्यकार अथवा ऐसे संविधानविद् की नियुक्ति की जाए जो जिसका राजनीति अथवा किसी सोच विशेष से वास्ता न हो और जो निष्पक्ष होकर काम कर सके। बहरहाल, समय के साथ-साथ नियुक्ति के मामले में इस पद का अवमूल्यन हुआ है। भाजपा हो, कांग्रेस अथवा केंद्र में सत्ता पर काबिज कोई अन्य दल, सभी ने राज्यपाल के पद के ऐसे व्यक्ति की नियुक्ति की है जिसका दलीय राजनीति से सीधा जुड़ाव रहा हो। कई बार किसी व्यक्ति विशेष को उपकृत करने के लिए भी ऐसे पद पर नियुक्त किया गया।
नतीजा, यह रहा कि किसी दल विशेष से जुड़ाव वाले व्यक्तियों की नियुक्ति के कारण इस पद की गरिमा घटी है। इस कड़ी में एक नाम मध्यप्रदेश के राज्यपाल रामनरेश यादव का शामिल किया जा सकता है, जिन्हें व्यापमं घोटाले में कथित संलिप्तता के चलते सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में नोटिस जारी किया है। राज्यपालों के इन विवादास्पद बयानों पर नजर…
विवादित बयानों के ‘मास्टर’ आचार्य
असम के राज्यपाल पीबी आचार्य ने कथित रूप से यह बयान देकर कि ‘हिंदुस्तान हिंदुओं के लिए है’ विवाद पैदा कर दिया। मजे की बात तो यह रही कि इस टिप्पणी पर सफाई देने की कोशिश करते हुए एक और विवाद खड़ा कर दिया। उन्होंने कहा कि ‘भारत में मुसलमान कहीं भी जाने को स्वतंत्र हैं.. अगर वे पाकिस्तान, बांग्लादेश जाना चाहते हैं तो जाने के लिए स्वतंत्र हैं।’ आचार्य के पास इस समय अरुणाचल प्रदेश के साथ असम के राज्यपाल का अतिरिक्त प्रभार भी है।
तथागत रॉय बोले, मैं सेक्युलर नहीं, हिंदू हूं
त्रिपुरा के राज्यपाल तथागत रॉय ने एक ट्वीट में कहा कि वह सेक्युलर नहीं हिंदू हैं। रॉय ने लिखा, ‘आपकी यह राय कैसे बनी कि मैं सेक्युलर हूं? मैं एक हिंदू हूं। हालांकि मेरा देश भारत 1976 से सेक्युलर है।’ एक शख्स के ट्वीट के जवाब में रॉय ने यह कमेंट किया था। भाजपा की विचारधारा से जुड़े रहे रॉय कुछ और ट्वीट को लेकर भी आलोचनाओं के घेरे में रहे हैं। ऐसे ही एक ट्वीट में उन्होंने लिखा था, ‘राज्यपाल, लेकिन तब भी एक गर्वित स्वयंसेवक।’ याकूब मेमन के अंतिम संस्कार में शामिल लोगों की निष्ठा पर सवाल खड़ा कर भी वे विवाद खड़ा कर चुके हैं।
राष्ट्रगान से ‘अधिनायक’ शब्द हटाने के पक्ष में कल्याण
देश के लिए सम्मान के प्रतीक राष्ट्रगान ‘जन गण मन ‘ से ‘अधिनायक’ शब्द हटाने का बयान देकर राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह इस समय आलोचनाओं के घेरे में हैं। विभिन्न पार्टियों से जुड़े नेताओं ने बाबरी ढांचा विध्वंस के समय यूपी के मुख्यमंत्री रहे कल्याण की इस टिप्पणी को राष्ट्रगान और इसके रचयिता गुरुदेव रवींद्र नाथ टैगोर का अपमान करार दिया है। सीपीएम नेता वृंदा करात ने कहा है कि राष्ट्रगान में बदलाव की बात करना टैगोर का अपमान करना है। राज्यपाल का यह बयान आरएसएस के प्रचारक की तरह है। स्थिति यहां तक है कि कल्याण को हटाने को लेकर चर्चा का प्रस्ताव उपराष्ट्रपति और राज्यसभा के सभापति मोहम्मद हामिद अंसारी ने स्वीकार कर लिया है। राज्य सभा के अगले सत्र में किसी भी दिन इस पर चर्चा कराई जा सकती है।
यूपी में राम नाइक के ‘दखल’ से एसपी खफा
अटलजी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार में भाजपा कोटे से मंत्री रहे राम नाइक इस समय यूपी के राज्यपाल हैं। राज्य की कानून व्यवस्था को लेकर अपनी कथित टिप्पणियों के कारण नाइक इस समय अखिलेश यादव सरकार के निशाने पर हैं। सपा महासचिव रामगोपाल यादव तो यहां तक कह चुके हैं कि राम नाइक यूपी की कानून व्यवस्था पर जिस तरह के टिप्पणी करते हैं उससे ऐसा लगता है कि वे देश के गृह मंत्री हैं। ‘महामहिम’ संविधान की गरिमा का ध्यान नहीं रख रहे हैं। सूर्य नमस्कार और गोहत्या के संवेदनशील विषय पर भी राज्यपाल बयान दे चुके हैं। दादरी मामले को लेकर उन्होंने कहा था कि अखिलेश सरकार को भेदभाव नहीं करना चाहिए। नाइक ने कहा, ‘अखलाक के परिवार को तो सरकार ने सहायता राशि दे दी, लेकिन उन परिवारों का क्या जिन्होंने अपनों को खोया।’