विवेकानंद कॉलेज से निकाले गए एडहॉक शिक्षकों के मसले पर दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति ने हस्तक्षेप किया है। डीयू प्रशासन ने कॉलेज को आदेश दिया है कि वर्तमान में चल रहे शैक्षणिक सत्र में ही इन सभी टीचर्स को बहाल किया जाए। डीयू ने ये फैसला एडहॉक शिक्षकों की हड़ताल और दिल्ली विश्वविद्यालय शिक्षक संघ (डूटा) के पत्र के बाद लिया है। गौरतलब है कि अमर उजाला.कॉम शुरुआत से ही करोरोना काल में कॉलेज से निकाले गए एडहॉक शिक्षकों के साथ खड़ा रहा है।
एडहॉक शिक्षकों ने अमर उजाला से कहा, हम दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति के बहुत आभारी हैं, जिन्होंने शुक्रवार विवि परिसर में विरोध कर रहे डूटा के सदस्यों से मुलाकात की। कुलपति ने हमारी बातों को न सिर्फ ध्यान से सूना बल्कि डीयू प्रशासन की तरफ से निकाले गए एडहॉक टीचर्स के बहाली के लिए एक पत्र भी जारी करवा दिया। हम सभी एडहॉक टीचर्स दिल्ली विश्वविद्यालय प्रशासन के बहुत शुक्रगुजार है।
हालांकि शिक्षकों का आरोप है कि दिल्ली विश्वविद्यालय ने ये पत्र निकालकर खानापूर्ति करने का काम किया है। क्योंकि जो मुख्य समस्या थी वह अभी भी जस की तस बनी हुई है। उस ओर विश्वविद्यालय प्रशासन ध्यान नहीं दे रहा है। 18 जून को डीयू ने जो पत्र जारी किया है, इसमें 5 दिसंबर 2019 के रिकॉर्ड ऑफ का डिस्कशन का जिक्र तक नहीं है। केवल खानापूर्ति करने वाली भाषा का प्रयोग किया है।
शिक्षकों ने आगे कहा कि विवेकानंद कॉलेज की प्राचार्य हीरानंद राजजोग का पांच वर्ष का कार्यालय पूरा हो चुका है इसके बाद भी वे प्राचार्या के पद पर बनी हुई हैं। ये सीधे तौर पर डीयू प्रशासन के नियमों का उल्लघंन है। इस कॉलेज में प्राचार्या को नियुक्त करने का अधिकार कॉलेज की गवर्निंग बॉडी का है, जो दिल्ली सरकार के अधीन है। लेकिन सरकार भी प्राचार्या की नियुक्ति के मामलों को नजरअंदाज कर रही हैं। कालेज की गवर्निंग बॉडी का ही आदेश है कि इन एडहॉक शिक्षकों को बहाल किया जाए। प्रचार्या राजजोग लगातार गवर्निंग बॉडी के निर्णयों को भी दरकिनार करते हुए मनमाने तरीके से फैसले ले रही हैं।
गौरतलब है कि विवेकानंद कॉलेज प्रबंधन ने 12 एडहॉक शिक्षकों को शिक्षा मंत्रालय के नियमों की अनदेखी करते हुए अप्रैल माह में नौकरी से निकाल दिया था। शिक्षकों को नौकरी से निकाले जाने के विरोध में जून माह में एडहॉक टीचर्स ने कॉलेज का घेराव कर अनिश्चिकालीन धरना शुरू कर दिया है। जिसे बाद में पुलिस और कॉलेज प्रशासन ने शिक्षकों पर दबाव बनाकर उन्हें हटाने का प्रयास भी किया लेकिन शिक्षक अभी भी अपनी मांगों को लेकर डटे हुए हैं।