अन्तर्राष्ट्रीय

विशाखा त्रिपाठी को डी.लिट् की मानद उपाधि

vishakha tripathiकुआलालंपुर । प्रतिष्ठित जगद्गुरु कृपालु परिषद की अध्यक्षा विशाखा त्रिपाठी को ओपन इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ कॉमप्लिमेंटरी मेडिसिन्स  कोलंबो (ओआईयूसीएम) द्वारा डी. लिट् की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया है। कुआलालंपुर के होटल अस्ताना में आयोजित ओआईयूसीएम के 52वें अंतर्राष्ट्रीय कांग्रेस में 7 जून को उन्हें यह उपाधि प्रदान की गई। मेडिसिना अल्टरनेटिवा के माध्यम से ओआईयूसीएम की स्थापना 1962 में दिवंगत डॉ. एन्टन जयसूर्या ने की थी जिन्हें पूरे विश्व में वैकल्पिक औषधि के गुरु के रूप में भी जाना जाता है। अंतर्राष्ट्रीय कांग्रेस में विश्व के विभिन्न देशों से आए शोधार्थियों ने वैकल्पिक औषधि तथा समन्वित औषधि के क्षेत्र में अपने शोध पत्र प्रस्तुत किए जिसके बाद आयोजित दीक्षान्त समारोह में शोधार्थियों को उनके द्वारा चयनित विषयों में एम.डी.  पीएच.डी. तथा डी. लिट् की मानद उपाधि से नवाजा गया। जगद्गुरु कृपालु परिषद की अध्यक्षा विशाखा त्रिपाठी को सामाजिक कार्यों विशेषकर शिक्षा के क्षेत्र में अभूतपूर्व योगदान के लिए यह उपाधि प्रदान की गई। विश्व विख्यात जगद्गुरु कृपालु जी महाराज की प्रेरणा से जगदगुरु कृपालु परिषद मौजूदा समय में 45०० बालिकाओं की शिक्षा का संपूर्ण दायित्व उठा रहा है। इसके तहत गरीब परिवारों की बच्चियों को प्राइमरी से लेकर परा स्नातक स्तर की नि:शुल्क शिक्षा दी जाती है। विशाखा त्रिपाठी के कुशल निर्देशन में तीन आधुनिक अस्पतालों का संचालन भी किया जाता है जिनके माध्यम से निर्धन परिवारों को चिकित्सा की नवनीतम सुविधाएं मुहैया कराई जाती हैं। सामाजिक कार्यों में जगद्गुरु कृपालु परिषद के योगदान को पहले भी कई सम्मान हासिल हो चुके हैं जिनमें नेल्सन मंडेला अवार्ड  राजीव गांधी ग्लोबल एक्सीलेन्स अवार्ड और मदर टेरेसा अवार्ड शामिल हैं। विशाखा त्रिपाठी की ओर से जगद्गुरु कृपालु परिषद के प्रतिनिधि राम पुरी ने डी. लिट् की मानद उपाधि ग्रहण की। दीक्षांत समारोह तथा अंतर्राष्ट्रीय कांग्रेस में भारत की ओर से सम्मानित होने वालों में हेमंत कुमार  के.वी. वासुदेव अडिगा  एम.जी. मैनहन्ट तथा गणेशन रामनाथन भी शामिल हैं। वाणिज्य और सामाजिक कार्यों के क्षेत्र में दो दशकों से भी अधिक के उनके योगदान को सराहा गया। मलेशिया के आध्यात्मिक गुरु डॉ. इस्माइल कास्सिम को भी कंपन ऊर्जा के क्षेत्र में उपाधि प्रदान की गई।

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