विशेषज्ञों का दावा-कोरोना से बच्चों के सीखने और समझने की क्षमता हुई प्रभावित
लंदन। कोरोना महामारी (Corona Pandemic) के कारण छोटे बच्चों का जीवन (little kids life) अधिक संघर्षपूर्ण (more conflict) हो गया है। ब्रिटेन के यूनिवर्सिटी ऑफ लीड्स (UK University of Leeds) के भाषा विकास विभाग की विशेषज्ञ डॉ. कैथरीन डेविस (Dr. Katherine Davis, Specialist in the Department of Language Development) का कहना है कि छोटे बच्चे खासतौर पर जो महामारी के दौर में चलने-बोलने के साथ पढ़ना-लिखना सिख रहे हैं, उन्हें अधिक परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
प्रो. कैथरीन डेविस बताती हैं कि हाल ही में हुए एक ताजा अध्ययन में पता चला है कि महामारी के बीच सप्ताह में एक भी दिन जिन बच्चों ने प्ले स्कूल ऑनलाइन अटेंड किया या किसी ने उन्हें प्रशिक्षित किया उन्होंने औसतन 24 या इससे अधिक शब्दों को जाना और समझा।
विशेषज्ञों का कहना है कि जिन परिवारों ने बच्चों को समझाने और सिखाने पर जोर नहीं दिया उनमें बोलने, समझने और शब्दों को पहचानने में दिक्कत देखी गई। ऐसे में बच्चों के बेहतर लालन पोषण के साथ कहानी और गाना सुनाने के साथ रोचक कार्यक्रम दिखाने से भी उनके भीतर शब्द अंकुरित होते हैं और वे अपनी भावनाओं को उन शब्दों के जरिए व्यक्त करते हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि छोटे बच्चे जब चलना-फिरना शुरू करते हैं। अपने भाव को व्यक्त करने की कोशिश करते हैं। ये वही वक्त होता है जब उनके भीतर सोचने-समझने की कला विकसित होती है।
बच्चे जैसे-जैसे चीजों को समझते हैं उनकी सोचने और समझने की क्षमता मजबूत होती है। इस दौरान उनके मस्तिष्क में एक क्त्रिस्या होती है और अपने स्तर से वे अपना भला-बुरा भी समझते हैं। यही कारण है कि वो नन्हीं उम्र में भी किसी स्थिति से बचाव के लिए वे पूरी कोशिश करते हैं।