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तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) ने जब से मोदी सरकार के सामने आंध्र प्रदेश के लिए विशेष दर्जा देने की मांग की है, तब से दिन प्रतिदिन टीडीपी और सरकार के बीच में तल्खी बढ़ती जा रही है. मोदी सरकार टीडीपी की इस मांग को मानने के लिए तैयार नहीं है. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि किसी भी राज्य को ‘स्पेशल राज्य’ का दर्जा नहीं दिया जाएगा.
सूत्र बताते हैं कि टीडीपी ने बीजेपी को इस मामले पर फैसले के लिए 10 मार्च तक का समय दिया है और संसद के अंदर इस संबंध में बड़ा ऐलान करने को कहा है. इससे पहले मंगलवार को अमरावती में टीडीपी विधायक दल की बैठक हुई जिसमें ज्यादातर विधायकों ने बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़ने की बात कही. बैठक में पार्टी के 125 विधायकों ने हिस्सा लिया.
माना जा रहा है कि पार्टी केंद्र सरकार से भी हट सकती है. सरकार में शामिल उसके 2 मंत्री भी इस्तीफा सौंप सकते हैं. हालांकि पार्टी प्रमुख और आंध्र के मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने अपने मंत्रियों के इस्तीफे या किसी भी तरह के अन्य बड़े फैसले लेने के लिए इंतजार करने को कहा है. वह अभी परिस्थितियों नजर बनाए हुए हैं.
केंद्र सरकार राजी नहीं
केंद्र सरकार भले ही आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए तैयार नहीं है, लेकिन आंध्र प्रदेश के विकास के लिए आर्थिक सहायता देने के साथ ही विजयवाडा और विशाखापट्टनम के लिए मेट्रो रेल प्रोजेक्ट को भी मंजूरी देने को तैयार है. वहीं टीडीपी की मांग है कि मोदी सरकार उस वादे को पूरा करे जो आंध्र प्रदेश के विभाजन के दौरान तत्कालीन सरकार ने किया था.
सरकार आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा देने की टीडीपी की मांग को इसलिए नहीं मांग सकती क्योंकि किसी भी राज्य को विशेष राज्य का दर्जा देने के लिए नियमों में बदलाव करने पड़ेंगे. अगर नियमों में बदलाव करके टीडीपी की मांग को मान लिया तो बिहार, झारखंड जैसे अन्य राज्य भी इस तरह की मांग कर मोदी सरकार की मुश्किलें बढ़ा सकते हैं. इसलिए मोदी सरकार टीडीपी की मांग के आगे किसी भी कीमत पर झुकने को तैयार नहीं है.
संसद में जारी है गतिरोध
संसद में भी टीडीपी ने सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है, तो वहीं शिवसेना ने भी टीडीपी की मांग को जायज मानते हुए संसद में टीडीपी का समर्थन किया. शिवसेना ने पहले ही ऐलान किया हुआ है कि वो 2019 के आम चुनाव में बीजेपी के साथ मिलकर नहीं लड़ेगी.
संसद में मंगलवार को जहां टीडीपी को एनडीए के अन्य सहयोगियों का साथ मिला वहीं कांग्रेस का समर्थन मिलने के बाद टीडीपी के हौंसले बुलंद हैं. टीडीपी को उम्मीद है कि आने वाले दिनों में चंद्रबाबू नायडू मोदी सरकार पर दबाव बनाने के लिए केंद्र सरकार से अपने मंत्रियों का इस्तीफा करा सकते हैं.
अब देखना होगा कि पीएम मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह को इस तरह की समस्याओं से कब निजात मिलती है क्योंकि शिवसेना पहले ही कह चुकी है कि वो 2019 का आम चुनाव बीजेपी के साथ मिलकर नहीं लड़ेगी.
दूसरी तरफ एनडीए गठबंधन का सबसे छोटा दल हिंदुस्तानी अवाम मोर्चा बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए से बाहर हो गया है. देखना होगा कि पीएम मोदी और अमित शाह कैसे अपनी राजनैतिक सुझबूझ से एनडीए को किस हद तक एकजुट रख पाते हैं.