टॉप न्यूज़फीचर्डब्रेकिंगराष्ट्रीय

विश्व क्षय रोग दिवस : रोजाना 7 हजार की हो रही मौत

लखनऊ : आज यानि 24 मार्च को टीबी दिवस है। रोजाना सात हजार से अधिक लोग टीबी का शिकार हो रहे हैं। हर मिनट एक टीबी मरीज की मौत हो जाती है। विश्व में प्रत्येक चार टीबी के मरीज में से एक भारत का मरीज होता है। भारत में हर साल 27 लाख टीबी के मरीज सामने आते हैं। इसका 20 फीसदी टीबी का मरीज उत्तर प्रदेश का है यानी करीब पांच लाख 20 हजार। यह जानकारी शनिवार को राज्य टीबी अधिकारी डॉ. संतोष गुप्ता ने दी। वल्र्ड हेल्थ पार्टनर्स और राज्य क्षय रोग इकाई ने विश्व क्षय रोग दिवस के पूर्व शनिवार को विधानसभा मार्ग पर एक होटल में कार्यक्रम हुआ। इस कार्यक्रम में डॉ. संतोष गुप्ता, सीएमओ डॉ. नरेंद्र अग्रवाल, जिला टीबी अधिकारी डॉ. बृजेश कुमार सिंह, डब्ल्यूएचओ कंसल्टेंट डॉ. उमेश त्रिपाठी, आकाशवाणी से डॉ. महेंद्र पाठक पैनलिस्ट में रहे। डॉ. गुप्ता ने बताया कि देश को 2025 तक टीबी मुक्त करने की योजना है। साथ ही डॉ. मोईज अहमद, आनंत तिवारी, आदर्श श्रीवास्तव, जिया फातिमा, नवीन अग्रवाल, रणंजय सिंह, देवेंद्र शर्मा रहे। सामान्य टीबी का इलाज छह से नौ माह एवं डीआर टीबी का नौ से 24 माह के इलाज से संभव है। डॉ. संतोष ने बताया कि टीबी का मरीज जब छींकता है तो दबाव से 10 हजार बूंदे मुंह से निकलती हैं। वहीं, खांसते समय तीन हजार बूंदे मुंह से निकलती हैं। इसलिए टीबी के मरीज को छींकते और खांसते समय रुमाल का प्रयोग करना चाहिए। उत्तर प्रदेश में सक्रिय मामले खोज अभियान में करीब साढ़े सात करोड़ जनसंख्या की स्क्रीनिंग हुई। अभियान में 20,391 नए मामलों की पहचान के बाद इलाज शुरू किया गया। पांच मोबाइल वैन की मदद से 1110 टीबी मरीज की पहचान की गई। इसमें 122 एमडीआर टीबी के मामले आए। उत्तर प्रदेश में सरकारी स्तर पर वर्ष 2017 में 3,11,016 टीबी के नए मामले चिन्हित किए गए थे, जबकि 2018 में 4,19,604 टीबी के मरीज चिह्नित किए गए। वहीं, निजी क्षेत्र से वर्ष 2017 में 68,029 मामले थे, जबकि 2018 में 70 फीसदी 1,14,871 नए टीबी के मरीज चिह्नित किए गए। वहीं दूसरी ओर यदि आप शराब, बीड़ी, सिगरेट और तम्बाकू का सेवन नियमित कर रहे हैं तो संजीदा हो जाएं क्योंकि इससे टीबी जैसी घातक बीमारी का बैक्टीरिया जाग सकता है। शराब पीने वाले लोगों में टीबी होने का खतरा सामान्य लोगों के मुकाबले तीन गुना ज्यादा होता है। अक्सर देखा गया है कि शराब पीने वाले लोगों में लिवर सिरोसिस समेत पेट की अन्य बीमारियों के साथ ही टीबी के अधिक होने की संभावना होती है। यह जानकारी विश्व टीबी दिवस पर पीजीआई के पल्मोनरी मेडिसिन विभाग के प्रमुख डॉ. आलोक नाथ ने दी। टीबी के चार फीसदी नये मरीज और 12 फीसदी पुराने मरीज होते हैं। एमडीआर टीबी में दवायें 50 प्रतिशत ही कारगर हैं। एमडीआर टीबी की बेहतर दवाओं के आने से अब 24 माह की जगह 9 से 12 माह के इलाज में मरीज ठीक हो सकता है। बशर्ते मरीज दवायें और इंजेक्शन नियमित लें। लोहिया संस्थान के चेस्ट रोग विभाग के इंचार्ज डॉ. हेमंत कुमार बताते हैं कि देश में 90 प्रतिशत लोगों में टीबी का बैक्टीरिया होता है, लेकिन यह शरीर में शांत पड़ा रहता है। डॉ. हेमंत बताते हैं कि जो लोग नियमित शराब व धूम्रपान करते हैं उनमें रोगों से लडऩे की ताकत कम हो जाती है। इसकी वजह से टीबी का बैक्टीरिया ताकतवर हो जाता है। जो शरीर पर हमला कर देता है और इंसान टीबी की चपेट में आ जाता है। डॉ. हेमंत बताते हैं कि शरीर में प्रतिरोधक क्षमता कम होने की एक वजह ज्यादा शराब का सेवन। आंकड़ों की मानें तो शराब के लती लोग अधिक टीबी का शिकार हो रहे हैं।

Related Articles

Back to top button