आपके लिए ये कहां तक संभव है कि आप घर में ही एक ऐसा रॉकेट तैयार कर दें जो आपको स्पेस की यात्रा पर ले जा सके..? शायद आपका जवाब होगा ‘ये असंभव है।’ क्योंकि आपका मानना है कि बिना प्रशिक्षण के ऐसा कर पाना नामुमकिन है।
लेकिन, आपको बताना चाहेंगे कि एक शख्स ने इस ‘असंभव’ काम को भी ‘संभव’ कर दिखाया है। जी हां… इस शख्स ने घर में ही एक ऐसा देशी रॉकेट तैयार कर दिया है। इस शख्स का दावा है कि यह रोकेट उड़ान भी भर सकता है।
सबसे ज्यादा अचंभा तो आपको तब होगा जब आपको ये मालूम पड़ेगा कि इसे बनाने वाला कोई साइंटिस्ट नहीं बल्कि पेशे से एक ड्राइवर है। लेकिन इस शख्स के अजीबोगरीब एक्सपेरिमेंट किसी साइंटिस्ट से कम भी नहीं है। अमेरिका में लिमो ड्राइव करने वाले इस आदमी को कौन नहीं जानता..? दरअसल, लोग उन्हें पागल समझते हैं। इसलिए उनके नाम के साथ ‘Mad’ शब्द का इस्तेमाल कर उनका मजाक बनाते हैं। लेकिन ये ‘Mad’ शख्सियत बेहद दिलचस्प केरेक्टर है। यह आपको हिला कर रख देने की ताकत रखता है।
इनका नाम है ‘Mad Mike Hughes’। यकीनन आप इनके बारे में सारी बातें जानने के बाद आप किसी भी पागल पर कभी हंसना पसंद नहीं करेंगे बल्कि जो ऐसा करता नजर आएगा आप उसे ही पागल समझेंगे। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि माइक ने सबसे पहले भाप से चलने वाला एक रॉकेट तैयार किया था। इसे वे लॉन्च करने में सफल भी रहे थे। लेकिन उस समय उन्होंने इसे मानव रहित लॉन्च करने में सफलता हासिल की थी।
अब इसी रॉकेट को उन्होंने मानव सहित उड़ने योग्य बना दिया है। अब माइक की योजना इस रॉकेट में खुद स्वार होकर उसे लॉन्च करने की है। वह इस सप्ताह के अंत में कैलिफ़ोर्निया में अंबॉय नामक एक विरान शहर के नजदीक इसे लॉन्च करने की योजना बना रहे हैं। ह्यूजेस का कहना है कि वह यहां ‘मोजवे रेगिस्तान’ के ऊपर हवा के माध्यम से लगभग 1.6 किलोमीटर की यात्रा इस रॉकेट के माध्यम से तय करेंगे।
ह्यूजेस बताते हैं कि इस रॉकेट को बनाने में उनके केवल 20 हजार डॉलर ही खर्च हुए हैं। जबकि वैज्ञानिकों द्वारा तैयार किए जाने वाले रॉकेट पर करोड़ों की लागत लगती है। एसोसिएटेड प्रेस को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने कहा, “मैं विज्ञान में विश्वास नहीं करता। मैं ‘वायुगतिकीय’ और ‘द्रव की गतिशीलता’ के बारे में जानता हूं और साथ ही ये भी जानता हूं कि चीजें कैसे हवा के माध्यम से चलती हैं। जहां तक रॉकेट की बात है, इसके पीछे कोई ‘साइंस’ नहीं है, यह केवल और केवल एक ‘फॉर्मूले’ पर काम करता है। माइक के अनुसार ‘साइंस’ और ‘साइंस फिक्शन’ के बीच कोई अंतर नहीं है।”