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वेतन में सिर्फ 2 प्रतिशत बढ़ोतरी के प्रस्ताव का विरोध कर रहे बैंक कर्मी, हड़ताल


नई दिल्ली : 10 लाख से ज्यादा बैंककर्मी आज से दो दिन की हड़ताल पर हैं। ये लोग इंडियन बैंक एसोसिएशन (आईबीए) की ओर से वेतन में सिर्फ 2 फीसदी बढ़ोतरी का विरोध कर रहे हैं। गौरतलब है कि 5 मई को इस मुद्दे पर हुई बैठक में आईबीए ने ये प्रस्ताव दिया था। कर्मचारियों का कहना है कि वेतन में 2 फीसदी इजाफा कोई मायने नहीं रखता। 30 और 31 मई की हड़ताल से इस महीने की सैलरी पर असर पड़ सकता है। एटीएम ट्रांजैक्शन भी प्रभावित हो सकता है।
बैंक कर्मचारियों ने मांग की है कि वेतन निर्धारण की प्रक्रिया जल्द पूरी की जाए। वेतन-भत्तों में उचित बढ़ोतरी की जाए। सभी ग्रेड के अधिकारियों को शामिल किया जाए। अन्य सेवा शर्तों में सुधार किया जाए। इन मांगों को लेकर यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस और आईबीए के बीच 2 मई 2017 से 12 नवंबर 2017 के बीच 13 बैठकें हुई थीं। हाल ही में 5 मई को इस मुद्दे पर आखिरी बातचीत हुई है। बैंक कर्मचारियों की वेतन बढ़ोतरी पिछले साल नवंबर से बकाया है। यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के बैनर तले यह हड़ताल हो रही है। इस फोरम से देश की 9 बैंक यूनियन जुड़ी हैं। इनमें एसबीआई समेत दूसरी सरकारी बैंकों के 10 लाख कर्मचारी और अधिकारी शामिल हैं। बुधवार की सुबह 6 बजे से एक जून की सुबह तक बैंककर्मी कामकाज नहीं करेंगे। इससे बैंकिंग सेवाओं पर असर पड़ेगा और लोगों को परेशानी होगी। एक नवंबर 2012 से 31 अक्टूबर 2017 तक बैंक कर्मचारियों के वेतन में 15 प्रतिशत तक बढ़ोतरी की गई थी। ऐसे में बैंककर्मी 2 प्रतिशत बढ़ोतरी के प्रस्ताव को मजाक बता रहे हैं। आईबीए ने ये भी कहा कि अधिकारियों की मांग पर बातचीत स्केल-III तक के अधिकारियों तक सीमित होगी। आईबीए ने बैंकों के घाटे का हवाला देते हुए वेतन में 2 प्रतिशत बढ़ोतरी का प्रस्ताव दिया। बैंक कर्मचारी इसे गलत बता रहे हैं। उनके मुताबिक सरकारी बैंकों का ऑपरेटिंग प्रॉफिट बढ़ रहा है लेकिन इसका 70 फीसदी एनपीए की प्रोविजनिंग में जा रहा है।
यूनाइटेड फोरम ऑफ बैंक यूनियंस के संयोजक देवीदास तुलजापुरकर ने कहा कि नोटबंदी समेत जन-धन, मुद्रा और अटल पेंशन जैसी सरकारी योजनाओं के लिए पिछले 2-3 साल में बैंक कर्मचारियों ने काफी मेहनत की है।

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