वैश्विक नरमी का मुकाबला कर सकता है भारत : अरुण जेटली
दस्तक टाइम्स एजेन्सी/ दावोस : वित्त मंत्री अरुण जेटली ने आज कहा कि भारत सुधारों को आगे बढ़ाकर और जिम्मेदारी भरी आर्थिक योजनाओं के साथ वैश्विक नरमी का सफलतापूर्वक मुकाबला कर सकता है। जेटली ने अनिश्चित वैश्विक अर्थव्यवस्था की चुनौती से निपटने के भारत के संभावित उपायों पर अपना दृष्टिकोण रखते हुए यहां यह बात कही। उन्होंने विश्वास जताया कि चीन और अमेरिकी अर्थव्यवस्थाओं में बनी प्रतिकूल परिस्थितियों में भी भारतीय अर्थव्यवस्था अपनी मजबूती को साबित करेगी।
उन्होंने कहा, ‘यदि भारत अपने सुधारों को लगातार जारी रखता है और जिम्मेदारी से आर्थिक योजना बनाता है तो वह दुनिया की भीड़ों से अलग दिख सकता है।’ जेटली ने एक साक्षात्कार में कहा, ‘वर्ष 2001, 2008 और 2015 में भारतीय अर्थव्यवस्था ने वैश्विक मंदी और संकट का सामना करते हुये मजबूती का दिखाई, आज हम परिस्थिति का सामना करने और अपनी मजबूत क्षमता को दिखाने के लिये पहले से बेहतर स्थिति में हैं।’
जेटली ने कहा कि यहां पहुंचे वैश्विक आर्थिक प्रमुखों की बैठकों में साफ दिखाई देता है कि धारणा चिंता वाली है क्योंकि वैश्विक अर्थव्यवस्था काफी अनिश्चिता का सामना कर रही है। उन्होंने कहा, ‘एक साथ कई चुनौतियां खड़ी हुई हैं। चीन को लेकर चिंता बढ़ी है हालांकि चीन ने खुद कहा है कि उसके लिये द्विअंकीय वृद्धि हासिल करना लगातार संभव नहीं है और अब वह 7 प्रतिशत वृद्धि को अपनी सामान्य वृद्धि मानकर आगे बढ़ रहे हैं। फिर भी चीन को लेकर दुनिया भर में काफी चिंतायें हैं।’
वित्त मंत्री ने कहा कि तेल, धातु और उपभोक्ता जिंस उत्पादक देश सभी गंभीर चुनौतियों का सामना कर रहे हैं और अमेरिका में इसको लेकर चिंता बढ़ी है कि चौथी तिमाही बेहतर परिणाम वाली नहीं होगी। उन्होंने कहा इन मुद्दों को लेकर वैश्विक अनिश्चितता बढ़ी है और निवेश में नये सामंजस्य बिठाने का रुझान बढ़ा है। कई बाजारों से पैसा निकाला जा रहा है और उसे दूसरी जगह निवेश किया जा रहा है। अनिश्चितता के माहौल में निवेशक सतर्क है और जोखिम को लेकर चौकन्ने हैं।’
जेटली ने कहा, ‘यही वजह है कि दुनियाभर के शेयर बाजारों में प्रतिकूल प्रभाव पड़ा है। शेयर बाजार आपस में जुड़े हैं और दुनिया के ज्यादातर हिस्से में मुद्राओं की विनिमय दर पर भी बुरा प्रभाव पड़ा है। भारत के मामले में भी प्रभाव पड़ा है लेकिन देश की मुद्रा पर प्रभाव सबसे कम है।’ पिछले कुछ दिनों से भारतीय रुपया विदेशी मुद्रा की निकासी से कमजोर पड़ा है। गुरुवार को यह अमेरिकी डालर के मुकाबले 29 माह के निम्न स्तर 68.02 रुपये प्रति डालर तक गिर गया था।
जेटली यहां विश्व आर्थिक मंच की बैठक में एक बड़े भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व कर रहे है। भारत के प्रतिनिधमंडल में सीआईआई सहित कई भारतीय उद्योग मंडलों के प्रतिनिधि भी शामिल हैं।