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वैश्विक रुख, रुपये के उतार-चढ़ाव से तय होगी बाजार की दिशा


नयी दिल्ली : अमेरिका में सरकारी कामकाज ठप होने से जुड़े घटनाक्रमों, कच्चे तेल की कीमतों के रुख और रुपये के उतार-चढ़ाव से इस सप्ताह शेयर बाजारों की दिशा तय होगी। विशेषज्ञों ने यह राय जताई है। विशेषज्ञों ने कहा कि दिसंबर श्रृंखला के डेरिवेटिव अनुबंधों के निपटान की वजह से भी शेयर बाजारों में उतार-चढ़ाव रह सकता है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा सीमा पर दीवार बनाने के लिए पैसा मांगे जाने पर शनिवार को अमेरिका सरकार का कामकाज आंशिक रूप ठप हो गया। इस बीच, खबरों में कहा गया है कि ट्रंप ने निजी रूप से अधिकारियों के साथ फेडरल रिजर्व प्रमुख जेरोम पॉवेल को हटाने पर विचार किया है। पॉवेल द्वारा ब्याज दरें बढ़ाने से ट्रंप नाराज हैं। यदि पॉवेल को पद से हटाया जाता है तो इससे वैश्विक बाजारों में ‘बेचैनी’ बढ़ेगी और निवेशकों की धारणा प्रभावित होगी। कुछ विश्लेषकों का कहना है कि कुछ वस्तुओं पर माल एवं सेवा कर (जीएसटी) दर में कटौती और वृहद आर्थिक बुनियाद में सुधार से भारतीय शेयर बाजारों में तेजी रह सकती है। जियोजित फाइनेंशियल सर्विसेज के शोध प्रमुख विनोद नायर ने कहा, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट और औद्योगिक उत्पादन बढऩे से घरेलू वृहद परिदृश्य सुधरा है। इसके अलावा उपभोक्ता मूल्य सूचकांक आधारित मुद्रास्फीति घटने से रिजर्व बैंक को अपने रुख को धीरे-धीरे सख्ती से तटस्थ करने की गुंजाइश मिली है, इससे बाजार का रुख सकारात्मक हुआ है।

आम लोगों को क्रिसमस का तोहफा देते हुए जीएसटी परिषद ने शनिवार को 23 वस्तुओं और सेवाओं पर जीएसटी दर में कटौती की है। इसमें सिनेमा का टिकट, टीवी, पावर बैंक आदि शामिल हैं। अब सबसे ऊंचे 28 प्रतिशत के कर स्लैब में 28 वस्तुएं ही बची हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इससे पहले इसी सप्ताह संकेत दिया था कि 28 प्रतिशत जीएसटी सिर्फ कुछ वस्तुओं पर रहेगी। वैश्विक स्तर पर भागीदारों की निगाह अमेरिका चीन व्यापार संबंधों पर लगी हैं। बीते सप्ताह बंबई शेयर बाजार का 30 शेयरों वाला सेंसेक्स 220.86 अंक के लाभ से 35,742.07 अंक पर बंद हुआ।

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