नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज कांग्रेस को सीधे निशाने पर लेते हुए कहा कि लोकसभा चुनाव में घोर पराजय के बाद भी वह वोट-बैंक की राजनीति नहीं छोड़ पाई है और समाज के तानेबाने को तोड़ने में लगी है। मोदी ने लोकसभा चुनाव के बाद भाजपा की आज यहां हुई पहली राष्ट्रीय परिषद की बैठक के अपने समापन भाषण में कहा, ‘‘हिंदुस्तान में कुछ छोटी मोटी घटनाएं घट रहीं हैं। हिंसा की घटनाओं को भाजपा कभी स्वीकार नहीं कर सकती। शांति, प्रगति और भाईचारा विकास की पूर्व शर्त है और उससे कोई समझौता नहीं किया जा सकता। सबका साथ, सबका विकास इसलिए हमारा मूल मंत्र है और इसे लेकर हम चल रहे हैं।’’ उन्होंने कांग्रेस का नाम लिये बिना कहा, ‘‘लेकिन वे लोग इतनी घोर पराजय के बाद भी वोट-बैंक की राजनीति नहीं छोड़ पाये हैं और समाज के तानेबाने को तोड़ने में लगे हैं।’’ गौरतलब है कि कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने एक अखबार से बातचीत में कथित तौर पर कहा है कि गैर-बराबरी, गरीबी जैसे असली दुश्मनों से लड़ने में लोगों को एकजुट होने से रोकने और गरीबों को आपस में बांटने की रणनीति के तहत देश में खासतौर से उत्तर प्रदेश में बनावटी और जानबूझकर सांप्रदायिक विवाद पैदा किये जा रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि लोकसभा चुनाव में देश की जनता ने अपना कर्तव्य निभा दिया और अब अपना कर्तव्य निभाने की बारी हमारी है। उन्होंने विश्वास जताया कि सरकार अपने कर्तव्यों को निभाने और किसी भी कठोर से कठोर मानदंड पर खरा उतरने में सफल रहेगी। मोदी ने कहा कि और सब पार्टियों की तुलना में भाजपा को परखने और देखने की कसौटी और तराजू अलग हैं। हम इस चुनौती को स्वीकार करते हैं और विश्वास जताते हैं कि पार्टी कठोर से कठोर मानदंड और कसौटी पर खरा उतरेगी। कांग्रेस पर हमला जारी रखते हुए मोदी ने इस पार्टी का नाम लिये बिना कहा कि जो लोग पूरे चुनाव में खाद्य सुरक्षा के नाम पर वोट मांगते रहे, उन्होंने सत्ता में रहते गरीबों को खाना न मिले, इसके लिए डब्ल्यूटीओ में हस्ताक्षर कर दिये। उन्होंने हाल की डब्ल्यूटीओ की बैठक में अपनी सरकार के रुख की सराहना करते हुए कहा कि हम भी चाहते तो ऐसा नजरिया अपना सकते थे जिससे दुनिया में हमारी वाहवाही होती और हमारे बारे में अच्छे अच्छे लेख लिखे जाते। लेकिन हमने इसके बजाय गरीबों के हितों को साधने वाला रास्ता चुना। मोदी ने कहा कि हमारे इस रख को लेकर भ्रम फैलाया जा रहा है। दुनिया में भारत को अलग थलग करने का भी प्रयास हो रहा है। लेकिन हमें फैसला करना था कि हम गरीबों के हितों को साधने वाले रास्ते को चुनें या अपने लिए अच्छे अच्छे लेख छपवाएं। लोकसभा चुनाव में मिली जीत का श्रेय भाजपा के नये अध्यक्ष को देते हुए मोदी ने कहा कि इस चुनाव के मैन ऑफ द मैच अमित शाह हैं। पार्टी के शीर्ष पद के लिए शाह के नाम को आज ही राष्ट्रीय परिषद ने अपनी मंजूरी दी है। शाह की तारीफ करते हुए मोदी ने कहा कि अगर वह लोकसभा चुनाव के प्रचार की टीम में शामिल नहीं होते और अगर उन्हें उत्तर प्रदेश का प्रभार नहीं मिला होता तो शायद देश को उनकी क्षमता का परिचय नहीं हुआ होता। उन्होंने विश्वास जताया कि पार्टी ने शाह को जो नया दायित्व सौंपा है, वह उसे भलीभांति निभाएंगे। इससे दल और देश दोनों को लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि इन चुनाव नतीजों के बाद एक नया पहलू सामने आया है और वह यह है कि सरकार बदलने के बाद दुनिया का भारत के प्रति नजरिया एकदम बदल गया है और पूरे विश्व में भारत के प्रति लोगों का व्यवहार बदल गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि यह सरकार पूर्ण बहुमत से सत्ता में आई है और दुनिया पर इसका बहुत प्रभाव पड़ा है। मिलीजुली सरकार के प्रति उनका नजरिया अलग हुआ करता था। उन्होंने कहा कि पूर्ण बहुमत के बल पर न केवल संसद सुचारू रूप से चलाने में मदद मिलती है बल्कि पूरे विश्व में भी इसका निर्णायक असर पड़ता है। उन्होंने कहा कि दिशा और दृष्टि साफ हो तो हम इस स्थिति का भरपूर लाभ उठा सकते हैं। मोदी ने कहा कि इस माहौल में विश्व में अब हिंदुस्तान का डंका बजेगा और जनता ने जो महत्वपूर्ण जनादेश दिया है, उसके कारण ऐसा हुआ है। देश में सैकड़ों राजनीतिक दलों के बीच भाजपा की अलग पहचान बनाने का सुझाव देते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि पार्टी को इसके लिए कुछ हटकर करना होगा। उन्होंने कहा कि इसके लिए पार्टी को हर वर्ष को एक विशेष वर्ष के रूप में घोषित करना चाहिए जो राजनीतिक दायरे तक सीमित नहीं होकर राष्ट्र और समाज के व्यापक हित से जुड़ा हो। मोदी ने कहा कि जो वर्ष जिस विषय के लिए घोषित किया जाए, उसके लिए पूरे साल योजना बने, जनजागरण कार्यक्रम हों और जनता यह समझे कि यह राजनीतिक और चुनावी कार्यक्रम नहीं है बल्कि राष्ट्रहित और उनसे जुड़ा कार्यक्रम है।