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व्यक्तिगत डेटा पर ग्राहकों का अधिकार, कंपनियों का नहीं : ‘ट्राई’


नई दिल्ली : ट्राई (भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण) ने कहा है कि ग्राहकों के पर्सनल डेटा पर दूरसंचार कंपनियों का नहीं बल्कि खुद ग्राहकों का अधिकार है। इसके साथ ही ‘ट्राई’ ने ग्राहकों से जुड़ी जानकारी की निजता बनाए रखने के नियमों की भी सिफारिश की है। ट्राई ने कहा कि मौजूदा नियम ग्राहकों के हितों के संरक्षण के लिए पर्याप्त नहीं हैं। जो कंपनियां ग्राहकों के डेटा को नियंत्रित और उसमें बदलाव करती हैं, यह उनका अधिकार नहीं है। यूजर खुद उनसे जुड़ी जानकारी के मालिक हैं। ट्राई ने कहा कि ग्राहकों को विकल्प चुनने, सहमति देने और जानकारी हटाने का अधिकार मिलना चाहिए। नियामक ने कहा कि कंपनियों के ग्राहकों के डेटा के साथ छेड़छाड़ रोकनी चाहिए।

ट्राई के अनुसार सरकार को उन सभी कंपनियों को डेटा प्रोटेक्शन फ्रेमवर्क में लाना चाहिए, जो व्यक्तिगत जानकारी में बदलाव करती हैं। ट्राई ने कहा कि सरकार को ऑपरेटिंग सिस्टम और ब्राउजर को भी नियमित करने के लिए नीति बनानी चाहिए और डेटा से पहचान को हटाने के लिए मानक तैयार करने चाहिए। ट्राई की ये सिफारिशें तब आई हैं जब प्रिवेसी और यूजर डेटा की सुरक्षा को लेकर बहस चल रही है। खासकर मोबाइल और सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म पर डेटा की सुरक्षा को लेकर लोग चिंतित हैं। टेलिकॉम स्पेस में सिम और उपकरणों के माध्यम से बड़ी मात्रा में यूजर डेटा बनता है। मोबाइल कंपनियों द्वारा इसका इस्तेमाल चिंता का विषय बन गया है। अगस्त 2017 में दूरसंचार नियामक ने टेलिकॉम सेक्टर में प्रिवेस, सुरक्षा और डेटा पर मालिकाना हक के बारे में सुझाव दिए थे। इस पर टिप्पणी करने के लिए कंपनियों को 21 नवंबर 2017 तक का समय दिया गया था।

ट्राई के चेयरमैन आरएस शर्मा ने कहा था कि डेटा की सुरक्षा और प्रिवेसी को लेकर फ्रेमवर्क तैयार किया गया है। ट्राई ने सिफारिश दी थी कि डेटा के साथ छेड़छाड़ से जुड़ी जानकारी के लिए कॉमन प्लैटफॉर्म का इस्तेमाल किया जाए। इसके लिए सभी संबंधित कंपनियों को इस प्लैटफॉर्म पर रहना जरूरी हो। इसमें कहा गया था कि कंपनियों को अपनी वेबसाइट पर डेटा से छेड़छाड़ की जानकारी देनी होगी और इसके लिए क्या उपाय किए गए, यह भी बताना होगा।

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