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व्यावसायिक भवन से टैक्स वसूलने की तैयारी

tax_1458366747नगर निगम की सीमा के अंतर्गत व्यावसायिक भवनों से टैक्स वसूलने का नया खाका शहरी विकास विभाग ने तैयार कर लिया है। कैबिनेट ने यूपी नगर निगम अधिनियम-1959 में संशोधन के प्रस्तावों को मंजूरी दे दी है। नए संशोधन को विधानसभा सदन में मंजूरी मिलने के बाद न सिर्फ व्यावसायिक भवनों पर दरें कम होगी वरन नगर निगमों को टैक्स वसूलने में भी आसानी होगी।
 
नगर निगम अधिनियम के प्रावधानों के मुताबिक आवासीय और व्यावसायिक भवन स्वामियों से टैक्स वसूलने का प्रावधान है। राज्य के सभी नगर निगम, नगर पालिका और नगर पंचायत आवासीय भवन स्वामियों से तो टैक्स की वसूली कर रही है लेकिन व्यावसायिक भवनों पर टैक्स की दरें अधिक होने की वजह से इसे वसूलने में दिक्कत आ रही थी।

हरिद्वार, रुड़की, देहरादून, और हल्द्वानी जैसे नगर निगमों के प्रमुखों ने शहरी विकास विभाग को पत्र लिखकर व्यावसायिक दरों में संशोधन की मांग की थी । शहरी विकास विभाग ने नगर निगम अधिनियम – 1959 में संशोधन का प्रस्ताव कैबिनेट में रखा जिसे मंजूरी दे दी गई। अब इसे विधानसभा सत्र के दौरान सदन के पटल पर रखा जाना है।

शहरी विकास विभाग के सूत्रों के मुताबिक यदि सदन में इस बहुमत से पारित किया जाता है तो नगर निगमों को न सिर्फ टैक्स वसूलने में आसानी होगी, वरन गंभीर वित्तीय संकट से जूझ रहे नगर निकायों को काफी राहत मिल जाएगी। ज्ञात हो कि वर्तमान में नगर निकाय 136 करोड़ से कर्ज से जूझ रहे हैं और सरकार ने नगर निकायों को वित्तीय मदद देने से साफतौर पर इंकार कर दिया है। 

आईटी कंपनियों को सीएसटी में शत-प्रतिशत छूट
प्रदेश में सूचना प्रौद्योगिकी कंपनियों को केंद्रीय बिक्री कर (सीएसटी) में शत प्रतिशत छूट मिलेगी। आईटी कंपनियों को मिलने वाली छूट 31 मार्च को समाप्त हो गई थी, लेकिन मंगलवार को मंत्रिमंडल ने छूट जारी रखने पर मुहर लगा दी। सरकार के निर्णय से आईटी कंपनियों का प्रदेश में निवेश बढ़ने की संभावना है, साथ ही आईटी उत्पादों का मूल्य भी नहीं बढ़ेगा। फिलहाल कंपनियां दो प्रतिशत जीएसटी की दर से कर भुगतान कर रही थी।

प्रदेश में आईटी कंपनियों को फार्म सी के विरुद्ध केंद्रीय बिक्री किए जाने पर निम्नलिखित शर्र्तों के अधीन सीएसटी में 100 प्रतिशत छूट प्रदान की जाती थी, जो मार्च 2016 के बाद समाप्त कर दी गई थी। इसके लिए उत्तरांचल मूल्य वर्धित कर अधिनियम 2006 तथा केंद्रीय विक्रय कर अधिनियम 1956 के अधीन कंपनी पंजीकृत होनी चाहिए। कंपनी का व्यवसायिक उत्पादन 7 जनवरी 2003 से लेकर 31 मार्च 2010 के बीच हुआ हो।

इकाइयों में 70 प्रतिशत रोजगार उत्तराखंड वासियों को दिया गया हो। प्रोत्साहन अवधि समाप्त होने के बाद जो कंपनियां कम से कम तीन वर्ष तक उत्पादन जारी रखे हुए हैं और निर्मित माल का विक्रय भी किया जा रहा है। इन शर्र्तों को पूरा करने वाली कंपनियों को यह छूट मिलेगी।

छूट से सरकार को 67 करोड़ रुपये का नुकसान भी होगा, लेकिन औद्योगिकीकरण को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने यह फैसला लिया है। ऐसी आईटी कंपनियां जो मोबाइल हैंडसेट की इंटर स्टेट व्यापार एवं वाणिज्य के दौरान बिक्री कर रही है उन्हें भी लाभ मिलेगा।

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