व्हाट्सअप पर लीक हुआ कंपनियों का डाटा: सेबी
– डिफॉल्ट डिसक्लोजर नियम का मामला टला
नई दिल्ली (एजेंसी)। गुरुवार को हुई सेबी की अहम बोर्ड बैठक में युनिवर्सल एक्सचेंज बनाने को मंजूरी दे दी है जिसपर शेयर और कमोडिटी की ट्रेडिंग एक साथ होगी लेकिन डिफॉल्ट डिसक्लोजर नियम का मामला टल गया है। माना जा रहा है सेबी अक्टूबर 2018 से युनिवर्सल एक्सचेंज के लिए मंजूरी दे सकती है। इस बोर्ड बैठक में शेयर बाजार और म्यूचुअल फंड से जुड़े बड़े फैसले हुए हैं।
बैठक सूत्रों के अनुसार सेबी की बोर्ड मीटिंग में भारत के साथ डिप्लोमैटिक समझौते वाले देशों में रजिस्ट्रेशन के नियम आसान बनाने पर विचार हुआ। इसके अलावा उम्मीद है कि रेग्युलेटर एफपीआई के लिए ‘फिट एंड प्रॉपर’ के क्राइटीरिया को दुरुस्त करने के साथ ही उनके लिए शर्तों को भी सरल बना सकता है।
इस पहल का उद्देश्य एफपीआई के लिए डायरेक्ट रजिस्ट्रेशन आसान बनाना और पार्टिसिपेट्री नोट्स (पी-नोट्स) से बचना है। इसके अलावा सेबी एक्सचेंज प्लेटफॉर्म पर एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी (एआरसी) द्वारा जारी की गईं सिक्युरिटी रिसीट्स की लिस्टिंग की अनुमति दे सकता है। मार्केट की भाषा में सिक्युरिटी रिसीट का मतलब किसी सिक्युरिटाइजेशन कंपनी या रिकंस्ट्रक्शन कंपनी द्वारा जारी रिसीट या अन्य सिक्युरिटी है।
सेबी की बोर्ड मीटिंग में रखे जाने वाले नए प्रपोजल्स के मुताबिक एफपीआई नियमों में बदलाव से कनाडा जैसे अन्य देशों के इन्वेस्टर्स को सीधे भारत में निवेश का मौका मिलेगा। सूत्रों के मुताबिक सेबी हितों के टकराव की आशंकाओं के मद्देनजर म्युचुअल फंड्स में 10 फीसदी क्रॉस-शेयरहोल्डिंग कैप लगा सकता है। माना जा रहा है कि इस कदम का असर यूटीआई एसेट मैनेजमेंट कंपनी (एएमसी) के शेयरहोल्डिंग पैटर्न पर असर पड़ सकता है।