शक्ल सूरत का प्यार पर कोई प्रभाव नहीं: रिसर्च ने साबित किया
युगल अक्सर रूप रंग और आकर्षण के मामले में एक दूसरे की टक्कर के देखे जाते हैंI रिसर्चकर्ता इसे, ‘असोर्टिव मेटिंग’ कहते हैं।
सामान्यतः आकर्षक लड़कियाँ आकर्षक लड़कों के साथ ही दिखायी देती हैं। और क्यूँ ना हो, जब आप ख़ुद आकर्षक हैं तो आप का साथी भी आकर्षक होना चाहिएI
क्या वो लड़की सचमुच उसके साथ है?
हमेशा ऐसा नहीं होता…कई बार कम आकर्षक लोगों की जोड़ी भी बहुत सुंदर लोगों के साथ बन जाती है, और ख़ुशनुमा भी। (और जैसा कि ऐसे हालात में कुछ लोग कहते हैं, ‘लंगूर के हाथ में अंगूर’।) तो ऐसा कैसे हो जाता है?
शोधकर्ताओं का एक दल काफ़ी समय से इस संदर्भ में अध्ययन करने में जुटा हुआ था कि आकर्षण के मापदण्डपर समान लोग साथ क्यूँ होते हैं, और कुछ लोग इस परम्परा के विरुद्ध शारीरिक आकर्षण के मामले में एक जैसे ना होकर भी साथ कैसे हो जाते हैं? शोधकर्ताओं ने जब इस सिलसिले में अतीत में हुए अध्ययन को पढ़ा तो उन्हें लगा कि शायद इसका ताल्लुक इस बात से हो सकता है कि प्रेम सम्बन्ध शुरू होने से पहले लोग एक दुसरे को कितने समय से जानते रहे हैंI
जैसा भी है मेरा है
सवाल का जवाब जानने के लिए उन्होंने शादी या प्यार के रिश्ते में बँधे 167 जोड़ों की और रूख किया। उनमें से कुछ एक दूसरे के साथ एक दशक से भी ज़्यादा से थे जबकि कुछ का रिश्ता हाल ही में शुरू हुआ था। इन लोगों से पूछा गया कि वो अपने साथी को कितने समय से जानते हैं और प्रेमी होने से पहले क्या वो दोनो दोस्त थे। इसके बाद उन्होंने बताया कि समय के साथ उनके रिश्ते में कौनसी चीज़ें बदली हैं और किस दिशा में, और उनके वक्तव्य को रिकोर्ड किया गया। इसके बाद जजों के एक पैनल ने उनके और उनके साथियों का शारीरिक आकर्षण के आधार पर मूल्याँकन किया।
और निष्कर्ष ये निकला- जब दो अनजान लोग मिलते हैं और एक महीने से कम समय में प्रेम सम्बंध में जुड़ते हैं, तो उनका शारीरिक आकर्षण स्तर एक जैसा होता है। जबकि अगर प्यार होने से पहले वो एक दूसरे को दोस्तों की तरह जानते हैं और साथ में काफ़ी समय गुज़ार चुके होते हैं तो शक्ल सूरत का मापदंड काफ़ी कम महत्व रखता है। जब दो लोग एक दूसरे को अच्छी तरह जान और समझ लेते हैं तो शारीरिक आकर्षण की भूमिका ना के बराबर रह जाती है।
मेरा मज़ाक़िया साथी
जब गुज़रते समय के साथ लोग एक दूसरे को समझने लगते हैं, वो एक दूसरे के बारे में बहुत सी नयी बातें जानने लगते हैं। उन्हें अपने साथी की संगीत में रुचि, स्पोर्ट्स का रुझान या मज़ाक़िया स्वाभाव आकर्षक लग सकता है। शोधकर्ताओं का कहना है कि ये छोटी छोटी बातें शक्ल सूरत से ज़्यादा महत्वपूर्ण होने लगती हैं। उस व्यक्ति की पसंद नापसंद, रूचियाँ और व्यक्तित्व आकर्षण का असल मुद्दा बन जाता है।
ऐसे में शारीरिक आकर्षण के मामले में एक दूसरे की टक्कर का होना ना होना इतना महत्वपूर्ण नहीं रह जाता, जितना कि एक साथ ख़ुश रहना। जो युगल रिश्ता शुरू होने से पहले दोस्त थे, उनके साथ ख़ुश रहने की सम्भावना भी उतनी ही होती है जितनी कि उन युगलों की जो कुछ समय से एक दूसरे को जानते हैं, शोधकर्ताओं का कहना है।