1- भगवान शिव
देवों के देव महादेव शनि महाराज के गुरु माने जाते हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एक बार शनि की दशा की वजह से भगवान शिव को पूरे दिन हाथी बनकर भटकना पड़ा था.
भगवान शिव ने जब यह जाना कि शनि के कारण उन्हें पशु योनी मे जाना पड़ा तो वे कुपित हो गए और शनि महाराज से कहा कि मेरे भक्तों पर तुम अपनी वक्र दृष्टि नहीं डालोगे. तब से शनिदेव भगवान शिव से डरते हैं और शिव के भक्तों पर अपनी बुरी नजर नहीं डालते हैं.
2- हनुमान जी
शनिदेव को हनुमान जी से भी डर लगता है इसलिए शनि महाराज हनुमान जी के भक्तों पर अपनी बुरी दृष्टि नहीं डालते हैं. पौराणिक मान्यताओं के अनुसार एक बार शनिदेव के अभिमान को भंग करने के लिए हनुमान जी ने उन्हें अपनी पूंछ में लपेटकर दौड़ना शुरू कर दिया, जिससे शनि महाराज बुरी तरह से घायल हो गए थे.
हालांकि बाद में शनि की पीड़ा को दूर करने के लिए हनुमान जी ने ही सर्वप्रथम उन्हें सरसों का तेल अर्पित किया था जिसके बाद से उन्हें तेल अर्पित किया जाने लगा.
3- श्रीकृष्ण
भगवान श्रीकृष्ण शनि महाराज के ईष्ट देव माने जाते हैं. बताया जाता है कि उनके दर्शन पाने के लिए शनि महाराज ने कोकिला वन में तपस्या की थी. शनिदेव की तपस्या से प्रसन्न होकर श्रीकृष्ण ने कोयल के रुप में उन्हें दर्शन दिया था और शनि महाराज से कहा था कि वह कृष्ण भक्तों को कभी परेशान नहीं करेंगे, यही वजह है कि वो कृष्ण के भक्तों पर अपनी बुरी नज़र नहीं डालते हैं.
4- पिप्लाद मुनि
पौराणिक मान्यताओं के अनुसार पिप्पलाद मुनि के जन्म से पहले ही उनके पिता दधिचि की मृत्यु हो गई थी. जिससे दु:खी होकर माता ने समय से पहले ही शल्यक्रिया से पिप्पलाद को जन्म देकर पीपल के वृक्ष के पास छोड़ दिया था. जब पिप्पलाद मुनि बड़े हुए और उन्हें पता चला कि शनि की दशा के कारण उन्हें माता-पिता का वियोग सहना पड़ा तो उन्होंने ब्रह्मा जी की तपस्या की और ब्रह्मा जी से ब्रह्मदंड पाकर शनि महाराज की खूब पिटाई की, हालांकि भगवान शिव ने बीच में आकर शनि की रक्षा की थी और कहा था कि जो व्यक्ति पिप्लाद मुनि का नाम जपेगा और पीपल के वृक्ष की पूजा करेगा उससे शनि महाराज दूर रहेंगे.
5- शनिदेव की पत्नी
संसार से विरक्त रहनेवाले शनिदेव को अपनी पत्नी से डर लगता है. बताया जाता है कि एक बार शनिदेव की पत्नी ऋतु स्नान करके शनि महाराज के पास आईं. लेकिन अपने ईष्ट देव श्रीकृष्ण के ध्यान में लीन शनि महाराज ने पत्नी की ओर नहीं देखा. बहुत देर तक शनिदेव का इंतजार करके उनकी पत्नी को क्रोध आ गया और उन्होंने शनिदेव का श्राप दे दिया कि अब से आप जिसे देखेंगे उसके बुरे दिन शुरू हो जाएंगे.
मान्यताओं के अनुसार कहा जाता है कि शनि की दशा में जो व्यक्ति शनि की पत्नी के नाम का जप करता है उसे शनिदेव पीड़ा नहीं पहुंचाते. गौरतलब है कि आज भी शनिदेव व्यक्ति के सभी कर्मों पर अपनी नजर रखते हैं और उचित समय आने पर उन्हें उनके कर्मों के हिसाब से दंड भी देते हैं लेकिन जो लोग इन पांच की स्तुति करते हैं उन्हें शनिदेव कभी परेशान नहीं करते.