शनिवार को ये काम देते हैं शुभ फल, जानिए पंचांग
जयपुर। 3 अक्टूबर 2015 को शनिवार है। इस दिन शुभ वि.सं.- 2072, संवत्सर नाम- कीलक, अयन- दक्षिण, शाके- 1937, हिजरी- 1436, मु. मास- जिलहिज-18, ऋतु- शरद्, मास- आश्विन, पक्ष- कृष्ण है।
शुभ तिथि
षष्ठी नन्दा संज्ञक तिथि अपराह्न 3.19 तक, तदुपरान्त सप्तमी भद्रा संज्ञक तिथि प्रारम्भ हो जाएगी। षष्ठी तिथि में यथा आवश्यक काठ की दातुन, यात्रा, उबटन व चित्रकारी को छोड़कर युद्ध, वास्तु, मांगलिक व अलंकारादिक कार्य सिद्ध होते हैं।
सप्तमी तिथि में यदि समयादि शुद्ध हो तो यात्रा, सवारी, विवाहादि मांगलिक कार्य, नृत्य, गायन कलादि कार्य, अलंकार, प्रवेश आदि कार्य शुभ व सिद्ध होते हैं। अभी श्राद्ध पक्ष में शुभ व मांगलिक कार्य शुभ नहीं कहे गए हैं।
षष्ठी तिथि में जन्मा जातक सामान्यतः स्थिर, कामलोलुप, अतिसुन्दर, ऐश्वर्य से युक्त, विद्यावान और कीर्तिवान होता है।
नक्षत्र
रोहिणी नक्षत्र प्रातः 7.27 तक, तदन्तर मृगशिर नक्षत्र रहेगा। रोहिणी नक्षत्र में पौष्टिक, विवाह, धनसंचय, देवगृह, देवकृत्य, मांगलिक व अलंकारादिक कार्य करने योग्य हैं। इसी प्रकार मृगशिर नक्षत्र में विवाहादि मांगलिक कार्य, यज्ञोपवीत, यात्रा, देवप्रतिष्ठा, वास्तु (घर) और कृषि सम्बंधी कार्य सिद्ध होते हैं।
रोहिणी नक्षत्र में जन्मा जातक सुन्दर, स्वरूपवान, स्थिर बुद्धिवाला, अभिमानी, भोगी, रतिप्रेमी, मधुरभाषी, चतुर, दक्ष व तेजस्वी होता है। इनका भाग्योदय लगभग 30 वर्ष के पश्चात् होता है।
योग
व्यतिपात नामक नैसर्गिक अशुभ योग रात्रि 8.25 तक, तदन्तर वरियान नामक नैसर्गिक शुभ योग रहेगा। व्यतिपात नामक योग में समस्त शुभ व मांगलिक कार्य सर्वथा निषेधनीय है।
विशिष्ट योग
अमृत-सर्वार्थसिद्धि नामक शुभ योग सूर्योदय से प्रात: 7.17 तक, रवियोग 7.17 से तथा द्विपुष्कर नामक शुभाशुभ योग अपराह्न 3.19 से रहेंगे।
करण
भद्रा संज्ञक विष्टिकरण अपराह्न 3.19 से अर्द्घरात्रि के बाद 2.53 तक भद्रा शुभ कार्यों में शुभ नहीं होती।
चंद्रमा
सायं 7.14 तक वृष राशि में, इसके बाद मिथुन राशि में रहेगा।
परिवर्तन
सायं 5.22 पर वक्री बुध उत्तराफालगुनी नक्षत्र के चौथे चरण में आ जाएगा।
व्रतोत्सव
शनिवार को छठ का श्राद्ध व व्यतिपात पुण्यं है।
शुभ मुहूर्त
उपर्युक्त शुभाशुभ समय, तिथि, वार, नक्षत्र व योगानुसार शनिवार को किसी शुभ व मंगलकृत्यादि के शुभ व शुद्ध मुहूर्त नहीं हैं।
वारकृत्य कार्य
शनिवार को सामान्यतः लोहा, पत्थर, सीसा, रांगा आदि धातु सम्बंधी कार्य अस्त्र-शस्त्र धारण, नौकरी, नौकर रखना, प्रयोग, गृहप्रवेश, पशुपालन, क्रय-विक्रय व दीक्षा (मन्त्र ग्रहण) आदि स्थिर कर्म करने योग्य हैं।
दिशाशूल
शनिवार को पूर्व दिशा की यात्रा में दिशाशूल रहता है। चंद्र स्थिति के अनुसार दक्षिण-पश्चिम दिशा की यात्रा लाभदायक व शुभप्रद रहेगी।