अहमदनगर/मुंबई. शनि शिंगणापुर मंदिर में अनिता शेटे भी 400 साल पुरानी परंपरा तोड़ना नहीं चाहतीं। वे कहती हैं कि हम उसे कायम रखना चाहते हैं। मंदिर की पवित्रता के लिए गांव के ज्यादातर लोगों की भी यही मान्यता है। बता दें कि सोमवार को उन्हें ट्रस्ट का नया प्रेसिडेंट चुना गया।
जानिए, महिलाओं के पूजा करने पर क्या सोच है नई प्रेसिडेंट की…
– अनिता का कहना है कि ‘हम और बाकी गांव वाले, महिला संगठनों को समझाएंगे कि परंपरा तोड़ना सही नहीं है।’
– कुछ लोगों का कहना है कि वह इस परंपरा का न धार्मिक कारण जानती हैं और न सोशल।
– बस पति चंद्रहास शेटे की बात आगे बढ़ा रही हैं। मंदिर में महिलाओं की एंट्री को मंजूरी देने वाले सुप्रीम कोर्ट के फैसले को भी नहीं समझना चाहती हैं।
सवाल: आपको किसने इलेक्शन लड़ने के लिए इन्सापयर किया?
अनिता: ऐसे किसी एक बात को बताना ठीक नहीं होगा। गांव की ही महिलाओं ने तय किया था कि इस बार हमें भी इलेक्शन में उतरना है। इस वजह से चुनाव लड़ा। अब जो मौका मिला है, उससे मैं खुश हूं।
सवाल: आगे की क्या प्लॉनिंग है?
अनिता: यहां आने वाले भक्तों के लिए फैसिलिटी बढ़ानी हैं। उनके रहने, ठहरने और नहाने की व्यवस्था करना पहला टारगेट है।
सवाल: क्या महिलाओं को शनिदेव के चबूतरे पर चढ़ तेल चढ़ाना चाहिए?
अनिता: नहीं। यहां की परंपरा करीब साढ़े तीन सौ से चार सौ साल पुरानी है। हम उसे कायम रखना चाहते हैं। मंदिर की पवित्रता के लिए गांव के ज्यादातर लोगों की भी यही मान्यता है।
सवाल: महिला संगठनों ने शनिदेव पर तेल चढ़ाने का फैसला किया है, फिर आप उनसे कैसे निपटेंगी?
अनिता: ट्रस्ट में अब हम महिलाएं भी हैं। हम उन महिला संगठनों से कहेंगे कि आप ऐसा मत कीजिए। मंदिर से जुड़ी परंपरा को कायम रखा जाना चाहिए।
सवाल: आपकी तीन साल की बेटी भी कभी तेल नहीं चढ़ा सकेगी?
अनिता: नहीं। हमारे गांव की परंपरा को किसी भी हाल में हम टूटने नहीं देंगे। मुझे यह सही नहीं लगता।
पहले चुनी गई थीं मेंबर
– 6 जनवरी को मेंबर चुने जाने के बाद सोमवार को ट्रस्ट की पहली मीटिंग हुई।
– इसके पहले, बुधवार को मंदिर के 400 साल के इतिहास में ये पहला मौका था, जब 11 सदस्यों वाले मंदिर ट्रस्ट में दो पोस्ट्स पर महिलाओं को जगह मिली।
– असिस्टेंट चैरिटी कमिश्नर ने मंदिर के इन 11 ट्रस्टियों के नामों का एलान किया। इसमें अनिता चंद्रहास शेटे व शालिनी लांडे का भी नाम था।
– हालांकि, दोनों का सियासत से कोई लेना-देना नहीं है। दोनों ही हाउस वाइफ हैं।
और ट्रस्ट को झुकना पड़ा…
– चुनाव में 97 लोगों ने हिस्सा लिया। इनमें 10 महिलाएं भी शामिल थीं। कई लोगों ने उस वक्त विरोध किया, लेकिन वे अड़ी रहीं।
– मंदिर बोर्ड और कमेटी ने इन 10 महिलाओं का इंटरव्यू लिया। दो को ट्रस्ट में शामिल करने लायक पाया गया। पिछले बुधवार को इनके नामों का एलान भी कर दिया गया।
ट्रस्ट ने क्यों लिया फैसला…
– दरअसल, जिस दौरान मंदिर का शुद्धिकरण किया जा रहा था, उसी वक्त मंदिर के ट्रस्ट के चुनाव की भी तैयारियां चल रही थीं।
– शुद्धिकरण को महिलाओं बेइज्जती माना गया था। विधानसभा में भी हंगामा हुआ था। महिला विधायकों ने इसे भेदभाव करार दिया था।
– देशभर में भी इसका तीखा विरोध हुआ था। सोशल मीडिया पर भी लोगों ने इस परंपरा को गलत बताया था।
– उसी दौरान इन महिलाओं ने तय किया कि वे ट्रस्ट के लिए दावा ठोंकेंगी।
क्यों किया गया था शुद्धिकरण?
– पिछले साल 29 नवंबर को एक महिला ने सुरक्षा तोड़कर मंदिर के चबूतरे पर पूजा की थी। इसके बाद काफी बवाल हुआ था।
– महिला और उसका पूजा वाला वीडियो वायरल हो गया था।
आगे क्या?
ट्रस्ट में महिलाओं के आने के बाद महिला संगठनों का कहना है कि हमारी अगली लड़ाई शनि देव के चबूतरे पर जाने की परमिशन हासिल करना है।
– राजस्थान के पुष्कर शहर के कार्तिकेय मंदिर में भी महिलाओं की एंट्री बैन है।
– यह मंदिर पुष्कर के मशहूर ब्रह्मा मंदिर के पास बना है। यहां कार्तिकेय पूर्णिमा बड़ा मेला लगता है।
क्या है मान्यता
– इस मंदिर में ब्रह्मचारी कार्तिकेय की पूजा होती है, इसलिए यहां महिलाएं नहीं जा सकती।
– ऐसा कहते हैं कि यदि महिलाएं मंदिर में जाती हैं तो कार्तिकेय बेहद नाराज हो जाते हैं।
एंट्री को लेकर हाईकोर्ट में है केस
– मुंबई के वर्ली समुद्र तट पर हाजी अली शाह बुखारी की दरगाह में महिलाओं की एंट्री बैन है।
– इस मान्यता को लेकर बॉम्बे हाईकोर्ट में केस भी चल रहा है।
क्या है मान्यता
– ट्रस्ट के मुताबिक, शरीयत किसी भी पवित्र कब्र के आसपास महिलाओं के जाने की अनुमति नहीं देता है।
– मजार के करीब महिलाओं का जाना महापाप माना जाता है।