जन्मकुंडली में चंद्र के साथ राहु होने से चंद्रग्रहण दोष लगता है। इस दोष के कारण व्यक्ति के जीवन में स्थायित्व नहीं रहता। इस दोष को दूर करने के लिए चंद्र के वैदिक मंत्र का जाप करें। इस दिन चांदी की अंगूठी अथवा पेंडेंट में सफेद मोती धारण करने से चंद्र दोष शांत होते हैं और चंद्र को बल मिलता है।
ज्योतिष : वैदिक ज्योतिष में चंद्र को मन-मस्तिष्क और शरीर में मौजूद जल तत्व का प्रतिनिधि ग्रह माना गया है। चंद्र से ही व्यक्ति के विचार, मानसिक स्थिति, भावनाएं, कल्पनाएं नियंत्रित होती हैं। जन्मकुंडली में यदि चंद्र खराब स्थिति में होता है तो व्यक्ति मानसिक रूप से अस्थिर रहता है। वह कभी किसी एक निर्णय पर नहीं ठहर पाता। यदि चंद्र अत्यंत ही खराब है तो व्यक्ति मानसिक रोगी तक हो सकता है। चंद्र की पीड़ा चंद्र की पीड़ा के कारण व्यक्ति कफ, खांसी, सर्दी-जुकाम, अस्थमा, फेफड़ों और श्वांस के रोगों से परेशान रहता है। जन्म कुंडली में यदि चंद्रमा छठे, आठवें या 12वें भाव में हो तो भी परेशानी देता है। ऐसी स्थिति में चंद्र को प्रसन्न करने का सबसे शुभ दिन होता है पूर्णिमा। इसमें भी आश्विन माह की पूर्णिमा सर्वश्रेष्ठ बताई गई है क्योंकि इसी पूर्णिमा पर चंद्र अपनी संपूर्ण कलाओं के साथ अपनी शीतलता पृथ्वी पर प्रसारित करता है। जन्मकुंडली में चंद्रमा कमजोर हो, पाप ग्रहों से युक्त हो, कमजोर चंद्र की महादशा-अंतर्दशा चल रही हो या चंद्र दूषित होकर छठे, आठवें या 12वें भाव में बैठा हो तो ऐसी स्थिति में शरद पूर्णिमा के दिन चंद्र की पूजा करें और स्फटिक या सफेद मोती की माला से चंद्र के वैदिक मंत्र ‘ऊं सों सोमाय नम:” का 11 माला जाप करें। चंद्र की पीड़ा के कारण कफजनिक रोग भी परेशान करते हैं। यदि किसी को बार-बार सर्दी-जुकाम, खांसी, कफ, अस्थमा की समस्या हो तो इस दिन रात्रि में चंद्र एक सूखा खोपरे का गोला लेकर उसमें एक छोटा सा छेद करें और उसमें गर्म करके ठंडा किया हुआ मीठा दूध भरकर चंद्रमा की चांदनी में रात भर रखें। सुबह इस दूध का सेवन करें। इससे रोग मुक्ति होती है। चंद्रमा की पीड़ा के कारण नेत्र रोग भी परेशान करते हैं। इससे मुक्ति के लिए सूखे खोपरे के गोले में शक्कर भरकर रात भर चांदनी में रखें और बाद में इस खोपरे शक्कर का नियमित सेवन करें। इससे नेत्र रोगों में आराम मिलता है। हृदय रोग, लो ब्लड प्रेशर हो, पेट संबंधी कोई रोग हो वे इस दिन चांदी के चंद्र यंत्र की पूजा करके अपने पूजा स्थान में रखें। मानसिक रोग, मिर्गी से मुक्ति के लिए भोजपत्र पर केसर की स्याही से चंद्र यंत्र बनाकर उसे चांदी के ताबीज में भरकर गले में पहनने से रोगों में आराम मिलता है। जिन बच्चों का पढ़ाई में मन नहीं लगता वे इस दिन चंद्र यंत्र धारण करें। परीक्षा या प्रतियोगी परीक्षा में अच्छा रिजल्ट लाने में सफल होंगे।