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शहीद के जन्मदाताओं का कैसे कट रहा जीवन, इसकी भी फिक्र करे सेना

soldiers_parent_20161010_9059_10_10_2016भोपाल, नवदुनिया न्यूज। विधवा पत्नी के दूसरी शादी कर लेने के बाद उपेक्षा का शिकार शहीद सैनिकों के जन्मदाता (माता-पिता) चाहते हैं कि मुआवजा राशि में उनका हिस्सा भी तय किया जाना चाहिए। इन बुजुर्ग माता-पिता का दर्द यह है कि जिस बेटे को उन्हें पालपोस कर पढ़ालिखा कर सेना में भर्ती कराया, उसके शहीद होने पर सिर्फ पत्नी को ही शहादत के सारे लाभ मिलते हैं, लेकिन माता-पिता का जीवन कैसे कट रहा है, उनकी विपरीत परिस्थिति में मदद की कोई योजना नहीं हैं। ये बुजुर्ग माता-पिता अब प्रधानमंत्री मोदी से अपनी गुहार लगाएंगे।

अपनी व्यक्तिगत परेशानी के बावजूद राजधानी में रह रहे शहीदों के परिजन चाहते हैं कि देश के दुश्मनों के खिलाफ लगातार सर्जिकल स्ट्राइक की जानी चाहिए। जो हमारे देश में घुसकर हमारे सैनिकों को मारते हैं, या मारना की योजना बनाते रहते हैं, उन्हें जितना जल्दी हो खत्म कर देना चाहिए। ऐसे लोगों को जीने का कोई हक नहीं हैं। पूरा देश इसके लिए सेना और सरकार के साथ है।

राजधानी में 14 अक्टूबर को शहीद स्मारक के उद्घाटन कार्यक्रम में आ रहे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात कर शहीदों को परिजन उनसे यही मांग करने वाले हैं। राजधानी के 8 शहीदों के परिजनों के साथ ही प्रदेशभर से 400 शहीदों के परिजनों को शहीद स्मारक के उद्घाटन अवसर पर प्रधानमंत्री मोदी से मुलाकात करने राज्य सरकार बुला रही है।

क्या कहते हैं शहीदों के परिजन, उन्हीं के शब्दों में उनका संदेश

उंगली उठाने वाले नेताओं पर दर्द हो देशद्रोह का केस

– सेना के ऑपरेशन और उनकी शहादत पर जो-जो नेता उंगली उठा रहे हैं, उन पर देशद्रोह का मुकदमा दर्ज कर उन्हें भी सबक सिखाना चाहिए। मोदीजी से मिलूंगी तो यही बात उनसे कहूंगी। ये नेता तो कभी फौज में रहे नहीं, न ही ये अपनी औलादों को फौज में भेजते हैं, ये क्या जानेंगे एक शहीद और उसके मां-बाप के दर्द को। मेरा बेटा शहीद हुआ, उसकी कमी हर वक्त खलती है, लेकिन उसकी शहादत के कारण जो मान-सम्मान मुझे मिलता है, उससे मेरा मन गर्व और गौरव से भर आता है। हमारे जवानों के हत्यारों को जीने का कोई हक नहीं हैं, इसलिए सरकार को लगातार आतंकियों के खिलाफ सर्जिकल स्ट्राइक करते रहना होगा।

– निर्मला शर्मा,

(भारतीय सेना के ऑपरेशन रक्षक में शहीद आर्मी मेडिकल कोर के कीर्ति चक्र विजेता स्व. कैप्टन देवाशीष शर्मा की मां)

बुजुर्ग माता-पिता की मदद के लिए बने योजना

– पीओके में घुसकर आंतकियों के खिलाफ की गई सर्जिकल स्ट्राइक के लिए मैं मोदी जी को धन्यवाद दूंगा। जिस दिन सर्जिकल स्ट्राइक की खबर आई, मुझे लगा मेरे बेटे के कातिलों को सेना ने मारकर बदला ले लिया। मोदी जी मिला तो उनसे एक गुजारिश मैं करना चाहता हूं, शहीद सैनिकों की विधवाओं के साथ-साथ उनके माता-पिता का भी ख्याल रखा जाना चाहिए। कारगिल युद्ध या इससे पहले शहीद हुए ऐसे सैनिक जिनकी नई-नई शादी हुई थी, पेंशन, नौकरी से लेकर मुआवजे का सारा पैसा बहू को मिला, बहू ने दूसरी शादी कर नया घर बसा लिया। अपना बेटा खोने वाले मां-बाप को कुछ नहीं मिला।

– आरएन प्रसाद,

(कारगिल युद्ध में ऑपरेशन विजय के दौरान शहीद हुए सेना मेडल विजेता स्व. मेजर अजय कुमार के पिता)

रिटायरमेंट के बाद भी हो जवानों का पुनर्वास

सेना की नौकरी में जान का जोखिम है, ये जानकर भी बहादुर लोग सेना की नौकरी चुनते हैं। जवानों की बहादुरी और हौसले में उनके मां-बाप का भी योगदान है, जो अपने बेटों को खुशी-खुशी सेना में भेजते हैं। हमें भी अपने बेटे की शहादत पर गम नहीं बल्कि गर्व है। लेकिन एक बात की टीस जरूर है, कि बेटे के शहीद होने के बाद सेना ने सिर्फ उसकी नवविवाहिता पत्नी को ही सबकुछ दिया। बेटे की शहादत के बाद वह तो काफी अमीर हो गई, दूसरी शादी भी कर ली, बाद में इस बात की पूछ-परख किसी ने नहीं कि शहीद की माता-पिता का जीवन कैसा चल रहा है, उनकी हालत कैसी है। मोदी जी से दरख्वास करना चाहता हूं कि शहीद की पत्नी के अलावा मां-बाप की मदद को लेकर भी कोई योजना बनाई जानी चाहिए। इसके साथ ही सेना के रिटायर्ड जवानों के पुनर्वास के लिए उन्हें राज्य की पुलिस में नौकरी देना चाहिए।

– आरएस सोनी,

(चेन्नाई में फाइटर प्लेन क्रेश में शहीद हुए कोस्ट गार्ड के फौजी पायलेट स्व. कमांडेंट मनोज कुमार सोनी के पिता)

आतंकियों पर कार्रवाई से मिलता है दिल को सुकून

– शहीदों का असल बदला लेना है तो पाकिस्तान में घुस-घुस कर सारे आतंकियों को मार देना चाहिए। दो चार दिन बाद खबर आ ही जाती है कि आतंकी हमले में हमारे देश के जवान शहीद हो गए। आखिर कब तक फौजियों के परिवार के लोग गमगीन होते रहेंगे। मुआवजे का पैसा मिलने से जरूरतें तो पूरी हो जाती हैं, लेकिन दुख दूर नहीं होते। मोदी जी मिलेंगे तो उनसे कहूंगी कि दुश्मन हम पर हमला करे, इससे पहले बार-बार सर्जिकल स्ट्राइक कर उन्हें ही खत्म कर देना चाहिए।

(वर्ष 1997 में नागालैंड में आतंकी हमले में शहीद सेना की इलेक्ट्रोनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियरिंग (ईएमसी) कोर के क्राफ्टमैन स्वर्गीय रमेश चंद्र की पत्नी)

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