शादी के बाद महिलाएं क्यों पहनती हैं मंगलसूत्र?
जयपुर। भारत में विवाहित महिलाओं के लिए मंगलसूत्र सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। यह सौभाग्यशालिनी महिलाओं के शृंगार का प्रमुख अंग है। मंगलसूत्र की तुलना किसी अन्य आभूषण से नहीं की जा सकती। यह सौभाग्य का सर्वोच्च शृंगार है।
अविवाहित युवतियों के लिए मंगलसूत्र धारण करना वर्जित होता है। इसे विवाह के पश्चात ही पहना जा सकता है। यह पति-पत्नी के अटूट प्रेम की निशानी होता है।
माना जाता है कि यह पति-पत्नी के रिश्ते को मजबूत बनाता है। साथ ही यह पति के जीवन में आने वाली बाधाओं को भी दूर करता है।
इसमें दो चीजों का खास महत्व है- स्वर्ण और काले मोती। स्वर्ण, ऊर्जा का प्रवाह सही रखता है और यह मां पार्वती की कृपा से पति-पत्नी के रिश्ते को बेहतर बनाता है।
काले मोते दोनों के रिश्ते को बुरी नजर से बचाते हैं। अगर ज्योतिष के नजरिए से देखा जाए तो स्वर्ण का अंश गुरु के सकारात्मक प्रभाव का वाहक होता है। इससे वैवाहिक जीवन सुखी होता है और परिवार में खुशहाली आती है।
इसी प्रकार काले मोतियों का रंग शनि ग्रह का प्रतीक माना जाता है। गुरु और शनि की कृपा से वैवाहिक जीवन में आने वाली बाधाओं का निवारण होता है। इससे दोनों में प्रेम बरकरार रहता है।