बहेड़ी (बरेली) : शादी में फिजूलखर्ची और आतिशबाजी करना दूल्हे मियां को महंगा पड़ा। गुरुवार को शादी में जैसे ही आतिशबाजी हुई, तो हाफिज ने निकाह करने से इंकार कर दिया। खुशी का माहौल बेरौनक हो गया। दूल्हे के पिता ने हाफिज से आतिशबाजी के लिए माफी भी मांगी। मगर हाफिज निकाह न पढ़ाने की जिद पर आड़े रहे। बाद में इस्लामिक कमेटी ने दूल्हे के पिता पर जुर्माना लगाकर निकाह की रस्म अदा कराई। मालूम हो कि बीते सात मार्च को बरेली मरकज के उलेमा ने शादी में फिजूलखर्ची, बैंड-बाजा, डीजे और आतिबाजी को गैर शरीयत बताया और सख्ती से रोक लगाने का फरमान जारी किया था। उलेमा ने यह भी कहा था कि शादी में बैंड-बाजा और आतिशबाजी हुई तो इमाम साहब निकाह नहीं पढ़ाएंगे। फिर भी कोई यदि फैसले के खिलाफ गया तो उसका समाज से बहिष्कार किया जाएगा।
गिरधरपुर निवासी इम्तयाज ने पुत्री की शादी गांव के ही मोहम्मद खालिद के पुत्र शाहिद से तय की थी। बुधवार को बारात आतिशबाजी करते हुए लड़की के घर के सामने पहुंची। आतिशबाजी होते देख हाफिज बफाउर्रहमान ने शादी कराने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि इस्लामिक कमेटी पहले ही फिजूलखर्ची पर रोक लगा चुकी है। इसके बाद भी आतिशबाजी करना नियमों के विपरीत है। इसके दूसरे दिन गुरुवार को दूल्हे के पिता ने गलती मान हाफिज से माफी मांगी और 5150 रुपये का जुर्माना अदा किया। तब जाकर गुरुवार को शादी हो पाई।