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शादी में हो रही है देरी, ये व्रत करायेगा हर मनोकामना पूरी

विवाह में विलंब हो तो एक व्रत करके सभी रुकावटों को दूर किया जा सकता है। भगवान विष्णु 4 जुलाई को योग निद्रा में चले जाएंगे। इसके बाद 21 अक्तूबर को जग के पालन हार दोबारा जग की सुध लेंगे। इस बीच मांगलिक कार्य (शादी विवाह आदि) वर्जित होते हैं।
 

इस दौरान पूरी सृष्टि का संचालन शिव परिवार करता है। जिन लड़कियों के विवाह में विलंब हो रहा है अथवा दांपत्य जीवन सुखमय नहीं है, ऐसी लड़कियां और महिलाएं मंगला गौरी का व्रत करें। भगवती सीता ने राम को प्राप्त करने के लिए मंगला गौरी की पूजा अर्चना की थी। सावन के पहले मंगलवार से यह व्रत प्रारंभ होता है। इस बार सावन 10 जुलाई से प्रारंभ होगा और दिन भी मंगलवार है।
 

पंडित केए दुबे पद्मेश का कहना है कि भगवती पार्वती ही मंगला गौरी का रूप हैं। इस चातुर्मास में सबसे पहले सावन मास में शिव और पार्वती का पूजन होता है। सोमवार को शिव का व्रत और मंगलवार को पार्वती का व्रत किया जाता है।
 

16 सोमवार या 16 मंगलवार व्रत करने से दांपत्य जीवन और आर्थिक स्थिति में सुधार होता है। भादौ मास में कृष्ण पक्ष की अष्टमी को भगवान कृष्ण का धरती पर प्राकट्य हुआ। शुक्ल पक्ष की अष्टमी को राधाजी का आगमन हुआ। इसके बाद भगवान गणपति अवतरित हुए।
 

इन्हीं चातुर्मास में पड़ने वाले कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी को भगवती महालक्ष्मी का प्राकट्य हुआ। इसी दिन चिकित्सा के जन्मदाता धनवंतरि का जन्म हुआ। कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को जीवित देवता हनुमानजी का जन्मदिन माना जाता है। इसके बाद अमावस्या के दिन दीपावली का उत्सव मनाया जाता है।  
आचार्य अमरेश मिश्रा ने बताया कि कार्तिक शुक्ल पक्ष की देवोत्थानी एकादशी को भगवान विष्णु सृष्टि के चारों धाम में विराजमान रहते हैं। प्रात:काल वह बद्रीकानाथ में स्नान करते हैं। दोपहर में द्वारिका में वस्त्र बदलते हैं। तत्पश्चात जगन्नाथजी पुरी में भोजन करते हैं।
रात्रि विश्राम वह रामेश्वरम में करते हैं। इसी बीच अश्विन मास में पितरों का आगमन होता है। तत्पश्चात शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा पर देवी पूजन होते हैं। यह चातुर्मास  सामाजिक समरसता और साधना का पर्व है। यही कारण है कि इस काल खंड में विवाह पर्व नहीं होते हैं।  

 

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