शिक्षाविदों ने भावी पीढ़ी के सर्वांगीण विकास हेतु नये तरीके सुझाये
इण्टरनेशनल राउण्डटेबल कान्फ्रेन्स ‘एड लीडरशिप-2017’ का दूसरा दिन
लखनऊ। सी.एम.एस. कानपुर रोड ऑडिटोरियम में चल रहे इण्टरनेशनल राउण्डटेबल कान्फ्रेन्स ‘एड लीडरशिप-2017’ एवं ‘ग्लोबल एजूकेशन रिसर्च कान्फ्रेन्स’ का दूसरा दिन बहुत ही दिलचस्प रहा, जिसमें अमेरिका, कनाडा, सिंगापुर एवं देश के विभिन्न प्रान्तों से पधारे प्रख्यात शिक्षाविदों ने शिक्षा में सकारात्मक बदलाव पर गहन चर्चा-परिचर्चा की एवं भावी पीढ़ी के सर्वांगीण विकास हेतु नये-नये तरीके सुझाये। ‘एड लीडरशिप-2017’ के दूसरे दिन की परिचर्चा मुख्यतः ‘रिसर्च बेस्ड प्रैक्टिसेज क्रिएटिंग एविडेन्स फॉर चेन्ज’ विषय पर केन्द्रित रही, जिसमें देश-विदेश के शिक्षाविदों ने अपने अनुभव बाँटते हुए बताया कि शिक्षा पद्धति में कैसे बदलाव लाया जा सकता है। शिक्षाविदों ने निष्कर्ष व्यक्त किया कि शिक्षा केवल किताबों तक ही सीमित नहीं है अपितु इसमें जीवन मूल्यों का समावेश नितान्त आवश्यक है। विदित हो कि शैक्षिक संस्था ‘एजुकेशन वी वान्ट’ के तत्वावधान में 5 से 7 अक्टूबरर तक इण्टरनेशनल राउण्डटेबल कान्फ्रेन्स ‘एड लीडरशिप-2017’ एवं ‘ग्लोबल एजूकेशन रिसर्च कान्फ्रेन्स’ का आयोजन सी.एम.एस. कानपुर रोड ऑडिटोरियम में किया जा रहा है, जिसमें अमेरिका, सिंगापुर, कनाडा एवं भारत के विभिन्न प्रान्तों से पधारे लगभग 300 शिक्षाविद्, प्रधानाचार्य, शिक्षक आदि प्रतिभाग कर रहे हैं तथापि एक अन्तर्राष्ट्रीय मंच पर शिक्षा पद्धति के विश्वव्यापी रुझान एवं नवीनीकरण पर चिंतन-मनन व मंथन कर शिक्षा पद्धति को नया आयाम दे रहे हैं।
‘एड लीडरशिप-2017’ के अन्तर्गत दूसरे दिन की परिचर्चा की शुरुआत सिटी मोन्टेसरी स्कूल की प्रेसीडेन्ट, प्रो. गीता गाँधी किंगडन के सारगर्भित उद्बोधन से हुई, जिन्होंने ‘प्रोवाइडिंग क्वालिटी एजूकेशन: बैलेन्सिंग, ऑटोनॉमी एवं एकाउन्टबिलिटी’ विषय पर बोलते हुए कहा कि शिक्षा में ‘गुणवत्ता’ की भावना बेहद महत्वपूर्ण है। गुणवत्तापूर्ण एवं उद्देश्यपूर्ण शिक्षा के बिना शिक्षा का कोई महत्व नहीं है। डा. गाँधी ने विद्यालयों की स्वायतता पर विशेष जोर दिया और कहा कि सरकारी स्कूलों की तुलना में प्राइवेट स्कूल बहुत बेहतर परिणाम दे रहे हैं। सिटी मोन्टेसरी स्कूल के संस्थापक व प्रख्यात शिक्षाविद् डा. जगदीश गाँधी ने ‘क्रिएटिंग लीडर्स, लीडिंग बाई एक्जाम्पल’ विषय पर बोलते हुए कहा कि शिक्षा हमेशा समयानुकूल होनी चाहिए क्योंकि स्कूल समाज का प्रकाश है तथा मानवजाति को सोचने समझने की शक्ति दी गई है। उन्होंने अभिभावकों का आह्वान किया कि वे अपने बच्चों को समय दें एवं उनमें मिल-जुलकर कार्य करने की भावना डालें, साथ ही उनमें सकारात्क सोच, सुन्दर विचार संजोएं।
कनाडियन इण्टरनेशनल स्कूल, बंगलोर से पधारी मेलेन केल्स ने ‘क्रिएटिंग स्पेसेज फॉर चेन्ज थ्रु कान्टेक्चुअल लर्निंग’ विषय पर बोलते हुए शिक्षा में परिवर्तन के लिए जगह बनाने पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि छात्रों को विभिन्न प्रकार के प्रोजेक्ट के माध्यम से सिखाना बहुत प्रभावी सिद्ध हुआ है। छात्रों को स्कूल के अलावा समाज से भी जोड़ने की कोशिश होनी चाहिए। सिंगापुर से पधारी शिक्षाविद डा. जेनिफर पी-लिंग टेन ने ‘इनोवेशन इन टीचिंग एण्ड लर्निंग: चैलेन्जेज एण्ड इनेबलर्स’ विषय बोलते हुए कहा कि शिक्षा में कोई भेदभाव नहीं होना चाहिए। बालक व बालिका दोनों को समान रूप से शिक्षा मिलनी ही चाहिए। उन्होंने कहा कि बच्चों को जिम्मेदारी देना व आजादी देना दोनों ही आवश्यक है। इसी प्रकार डा. नलिनी तनेजा ने ‘सोशल एण्ड इमोशनल बिहैविअर्स’ विषय पर, श्री वसन्त अग्रवाल ने ‘द डिजीज ऑफ एडिक्शन: हू इज ऑर कैन बीकम एन एडिक्ट / एल्कोहॉलिक? हाऊ एण्ड व्हाई’ विषय पर, श्री एम एस नकवी ने ‘साइबर सिक्योरिटी’ विषय पर अपने विचार रखे। ‘एड लीडरशिप-2017’ की संयोजिका डा. सुनीता गाँधी ने बताया कि यह अन्तर्राष्ट्रीय राउण्डटेबल सम्मेलन अपने सफल समाप्ति की ओर अग्रसर है और कल 7 अक्टूबर को यह सम्मेलन ‘पुरस्कार वितरण व समापन समारोह’ के साथ सम्पन्न हो जायेगा। इस अवसर पर शिक्षा जगत में अतुलनीय योगदान देने वाले देश-विदेश के प्रख्यात शिक्षाविदों को ‘इनोवेशन इन प्रोसेस फेलोशिप’ एवं ‘एजेकुशन इनोवेटर अवार्ड’ प्रदान किये जायेंगे।