राज्य सरकार ने शिक्षा मित्रों की समस्याओं के समाधान के लिए उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा की अध्यक्षता में कमेटी गठित की है। कमेटी में बेसिक शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव प्रभात कुमार सहित अन्य अधिकारियों को शामिल किया गया है।
कमेटी शिक्षा मित्रों की सहायक अध्यापक पद पर नियुक्ति, विशेष बीटीसी कराने, मानदेय बढ़ाने सहित अन्य मुद्दों पर अपनी राय देगी। बुधवार को शिक्षा मित्रों की ओर से राजधानी में मुंडन और जनेऊ त्याग आंदोलन के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने उप मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में कमेटी गठित करने के निर्देश दिए।
शिक्षामित्रों की दिक्कतों के प्रति सरकार गंभीर
मुख्यमंत्री के सूचना सलाहकार मृत्युंजय कुमार ने बताया कि सरकार शिक्षा मित्रों की समस्या के प्रति गंभीर है। योगी सरकार ने ही शिक्षा मित्रों का मानदेय बढ़ाकर10 हजार रुपये किया है। शिक्षा मित्रों को उनके मूल विद्यालय में तैनाती के आदेश दिए हैं, इतना ही नहीं शिक्षा मित्रों को तैनात करने के लिए सरप्लस सहायक अध्यापकों को दूसरे जिले में स्थानांतरित करने के निर्देश दिए हैं। 68,500 सहायक अध्यापकों की भर्ती में भी बोनस अंक दिए गए हैं। उन्होंने कहा कि शिक्षा मित्रों की इस हालत के लिए पूर्ववर्ती सपा सरकार जिम्मेदार है।
समायोजन निरस्त होने के एक वर्ष पूरा होने पर महिला शिक्षामित्रों ने मुड़वाए सिर
शिक्षामित्रों ने समायोजन निरस्त होने के फैसले का बुधवार को एक साल पूरा होने पर इसे काला दिवस के रूप में मनाया। पिछले वर्ष 25 जुलाई को ही शिक्षामित्रों का समायोजन निरस्त हुआ था। तब से अब तक करीब 704 शिक्षामित्रों की हुई मौत पर उनकी आत्मा की शांति के लिए शिक्षामित्रों ने ईको गाडर्न में सामूहिक मुंडन कर तर्पण किया। इसके लिए 63 महिला और 450 पुरुष शिक्षा मित्रों ने लखनऊ में सिर मुंडवाकर प्रदर्शन कर सरकार विरोधी नारे लगाए।
आम शिक्षक शिक्षा शिक्षामित्र ऐसोसिएशन की अध्यक्ष उमा देवी ने बताया कि बुधवार देर शाम तक 513 शिक्षा मित्रों ने सिर मुंडवाए। उन्होंने कहा कि जब तक उन्हें फिर शिक्षक नहीं बना दिया जाता वे यह लड़ाई जारी रखेंगे। प्रदर्शन के दौरान देवरिया निवासी शिक्षा मित्र अंबिका तिवारी बेहोश हो गईं, जिन्हें लोकबंधु अस्पताल में भर्ती कराया गया। प्राथमिक उपचार के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी गई।
प्रदर्शनकारियों ने बताया कि वे 18 मई से ईको गार्डन में धरना-प्रदर्शन कर रही हैं पर, प्रशासन के नुमाइंदे सिर्फ ज्ञापन लेकर चले जाते हैं। 13 जून को मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने छह सदस्यीय प्रतिनिधि मंडल से वार्ता की पर उसके बाद से अब तक कोई कदम नहीं उठाया गया।
नहीं जा पाए मुख्यमंत्री आवास
प्रदर्शन के दौरान हाथ में बैनर-पोस्टर लिए शिक्षामित्रों ने कई बार धरना स्थल से मुख्यमंत्री आवास कूच करने की कोशिश की पर पुलिस ने उनकी एक नहीं चलने दी। इसके बाद वे रोड किनारे बैठकर प्रदर्शन करने लगे।
हालांकि कुछ देर बाद ही वह वापस धरना स्थल पर चले गए। इसके अलावा पुलिस ने शहीद स्मारक तक शव यात्रा निकालने की योजना भी पूरी नहीं होने दी। प्रदर्शन करने वालों में प्रांतीय संरक्षक प्रदीप पांडेय, महामंत्री संतोष दुबे और रवींद्र सिंह समेत सैकड़ों शिक्षा मित्र शामिल रहे।
मुंडन और तर्पण करने के दौरान फूट-फूट कर रोई कई महिलाएं
मुंडन और तर्पण करने के दौरान कई सुहागिनें फूट-फूट कर रोनें लगीं। उनका कहना था कि वे 14 वर्षों से परिषदीय विद्यालयों में पढ़ा रही हैं। समायोजन से उनका भविष्य उज्ज्वल हुआ पर एक फैसले से सब खत्म हो गया। सरकार भी ध्यान नहीं दे रही। परिवार के भरण-पोषण में कठिनाई हो रही है।
ये हैं शिक्षामित्रों की प्रमुख मांगें
– आरटीई एक्ट-2009 के तहत 1,24,000 पैरा टीचर को अपग्रेड कर पूर्ण शिक्षक का दर्जा दिया जाए।
– उत्तर प्रदेश बेसिक शिक्षा नियमावली के अनुसार पूर्ण शिक्षक का वेतनमान दिया जाए।
– जो शिक्षा मित्र आरटीई एक्ट-2009 में किसी विधिक पहलू से समाहित नहीं हो सके उन्हें भारत के राजपत्र 2017 के अनुसार सहायक अध्यापक पद पर रखते हुए चार वर्ष में उत्तराखंड की तर्ज पर टेट उत्तीर्ण करने की छूट प्रदान करे।
– जो शिक्षा मित्र टेट उत्तीर्ण हैं उनको बिना लिखित परीक्षा उम्र और अनुभव का भारांक देकर नियमित किया जाए।