(शिमला) मुख्यमंत्री ने शुरू की इलैक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य कार्ड एवं निःशुल्क इंसुलिन योजना
आईजीएमसी शिमला के स्पैशल वार्ड की रखी आधारशिला
हिमाचल बना ईएचसी आरम्भ करने वाला दक्षिण पूर्वी एशिया का पहला राज्य
शिमला, (एजेंसी)। मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने स्वास्थ्य मंत्री श्री कौल सिंह ठाकुर के साथ आज यहां होटल हॉली-डे-होम में सार्वभौमिक टीकाकरण कार्यक्रम के अन्तर्गत 18 वर्ष आयु से कम के मधुमेह रोगियों के लिए निःशुल्क इंसुलिन योजना ‘इलैक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य कार्ड योजना’ सहित छः नई स्वास्थ्य योजनाओं की शुरूआत की। हिमाचल प्रदेश योजना की शुरूआत करने वाला दक्षिण पूर्वी एशिया क्षेत्र का पहला राज्य बन गया है। उन्होंने हि.प्र. सार्वभौमिक स्वास्थ्य संरक्षण योजना, स्वास्थ्य बुलेटिन विवरणिका, हेमोफिलिक रोगियों के निःशुल्क उपचार के लिए योजना के शुभारंभ सहित ‘मिज़ल्स रूबेला’ अभियान की भी शुरूआत की।
स्वास्थ्य कार्ड ‘हेल्थ कार्ड एचपी’ नामक गुग्गल ऐप से डाउनलोड किए जा सकते हैं। उन्होंने इंदिरा गांधी मेडिकल कॉलेज शिमला के विशेष वार्ड खण्ड की ऑनलाइन आधारशिला भी रखी। आईजीएमसी में अब 32 विशेष वार्ड होंगे। इस अवसर पर जनसमूह को सम्बोधित करते हुए श्री वीरभद्र सिंह ने कहा कि ‘मेरा हमेशा ही यह मत रहा है कि स्वास्थ्य अधोसंरचना, शिक्षा, सड़क इत्यादि के विस्तार की बात हो अथवा अन्य विकास योजनाओं का निर्माण हो, जो भी कार्य किया जाए वह गुणात्मक व समयबद्ध होना चाहिए तथा प्राथमिकता के आधार पर किया जाना चाहिए’। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने मौजूदा कार्यकाल के दौरान राज्य के लिए चार नए मेडिकल कॉलेज स्वीकृत करवाएं हैं। डॉ. वाई.एस. परमार मेडिकल कॉलेज नाहन तथा जवाहर लाल नेहरू कॉलेज चम्बा ने कार्य करना शुरू कर दिया है और अखिल भारतीय मेडिकल कोटे से अनेक विद्यार्थियों के अलावा गैर-आवासीय भारतीयों ने इन कॉलेजों में प्रवेश प्राप्त किया है। उन्होंने कहा कि मण्डी जिले के नेरचौक स्थित ईएसआईसी मेडिकल कॉलेज को भी क्रियाशील बनाया गया है। मुख्यमंत्री ने कहा कि मेडिकल कॉलेज हमीरपुर के भवन का निर्माण कार्य वन स्वीकृति की प्रतीक्षा के चलते आरम्भ नहीं किया जा सका है। इसके अतिरिक्त, आयुर्वेद विभाग में भी बड़े पैमाने पर अधोसंरचनात्मक विस्तार किया गया है और राज्य के दूरदराज तथा ग्रामीण क्षेत्रों में अनेक आयुर्वेद संस्थान खोले गए हैं।
उन्होंने कहा कि राज्य सरकार ने प्रदेश भर में स्कूलों, कॉलेजों व कार्यालय भवनों का सुनियोजित ढंग से निर्माण सुनिश्चित बनाया है जिनमें वृद्धाश्रम व अनाथाश्रम भी शामिल हैं। उन्होंने गुणात्मक कार्य के निष्पादन के लिए राज्य की सरकारी निर्माण एजेंसियों को बधाई दी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार जो कुछ भी विकास कार्य कर रही है, वे सफलतापूर्वक किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि प्रत्येक को दृढ़ इच्छाशक्ति से कार्य करने की आवश्यकता है। मुख्यमंत्री ने 18 वर्ष की आयु से कम के मधुमेह रोगियों के लिए निःशुल्क इंसुलिन की योजना के निर्माण में किए गए अनुसंधान व कड़ी मेहनत के लिए डॉ. जे.के. मोक्टा को सम्मानित भी किया। स्वास्थ्य मंत्री श्री कौल सिंह ठाकुर ने कहा कि आज आरम्भ की जाने वाली योजनाओं से प्रदेश की स्वास्थ्य सेवाओं को सुदृढ़ करने में सहायता मिलेगी। उन्होंने कहा कि हिमाचल प्रदेश दक्षिण-पूर्व एशिया में इलैक्ट्रॉनिक स्वास्थ्य कार्ड आरम्भ करने वाला प्रथम राज्य बन गया है। उन्होंने कहा कि सार्वभौमिक स्वास्थ्य योजना में किसी भी योजना के अन्तर्गत न आने वाले लाखों लोगों को लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश में गैर-संक्र्रमित बीमारियों के रोगियों के लिए स्क्रीनिंग योजना भी आरम्भ की गई है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में लोगों को प्राथमिकता के आधार पर गुणात्मक स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध करवाई जा रही हैं तथा राज्य सरकार का लक्ष्य ग्रामीण एवं दूरदराज के क्षेत्रों में स्वास्थ्य अधोसंरचना को सुदृढ़ करना है । स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि मधुमेह रोगियों के लिए डायलिसिस की सुविधा आरम्भ में चार जिलों के क्षेत्रीय अस्पतालों में आरम्भ की गई थी जिसे चरणबद्ध ढंग से प्रदेश के सभी क्षेत्रीय अस्पतालों भी में आरम्भ किया जाएगा। उन्होंने कहा कि प्रदेश के लोगों को विभिन्न प्रकार की 300 जीवन रक्षक दवाईयां सभी सामुदायिक, प्राथमिक तथा उप-स्वास्थ्य केन्द्रों में उपलब्ध करवाने के लिए पूरे प्रयास किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि हमारा लक्ष्य 28/1000 प्रति वर्ष की मौजूदा नवजात शिशु मृत्य दर को कम कर 25/1000 प्रति वर्ष तक लाना है।
उन्होंने मंत्रिमण्डल की बैठक में स्वास्थ्य विभाग में पैरा-मैडिकल स्टॉफ के 2000 पद स्वीकृत करने के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया। मुख्य संसदीय सचिव स्वास्थ्य श्री नन्द लाल ने भी इस अवसर पर सम्बोधित किया। अतिरिक्त मुख्य सचिव, स्वास्थ्य श्री प्रबोध सक्सेना ने स्वास्थ्य सुविधाओं के विस्तार में विशेष रूचि दिखाने के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि पूर्व में किमोथेरेपी के लिए पीजीआई जाने वाले रोगियों को यह सुविधा अब आईजीएमसी में भी उपलब्ध है, जो गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों के लिए निशुल्क है।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री द्वारा बजट में की गई घोषणा को पूरा करने के लिए 18 वर्ष की आयु से कम के मधुमेह टाईप-1 रोगियों को निशुल्क इंसुलिन तथा ‘हिमोफिलिक’ रोगियों के लिए निःशुल्क उपचार सुविधा आरम्भ की गई। उन्होंने कहा कि सघन देखभाल कार्डियोथोरैसिक सर्जरी, जैनिटो युरिनरी सेवाएं, न्यूरो सर्जरी, रेडिएशन आन्कोलॉजी के लिए दी जाने वाली राशि को 30 हजार रूपये से बढ़ाकर 1.75 लाख रूपये तथा कैंसर रोगियों के लिए यह राशि बढ़ाकर 2.25 लाख रूपये की गई है, जो सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज योजना के दिशा-निर्देशों के अनुसार कहीं अधिक है। हिमाचल प्रदेश ऐसी सुविधाएं देने वाला देश का प्रथम राज्य बन गया है। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग से सम्बन्धित अन्य योजनाओं के बारे में भी विस्तृत जानकारी दी । अतिरिक्त मुख्य सचिव डा.श्रीकांत बाल्दी, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के निदेशक श्री पंकज रॉय, स्वास्थ्य विभाग के निदेशक डा.बलदेव ठाकुर, इंदिरा गांधी मेडिकल कालेज शिमला के प्राचार्य डा. अशोक कुमार तथा चिकित्सा अधीक्षक डा.रमेश चन्द सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति भी इस अवसर पर उपस्थित थे।