शिवलिंग पर चढ़ाने के लिए बेलपत्र तोड़ने के होते हैं कुछ ख़ास नियम, इन बातों का जरूर रखें ध्यान
सावन के महीने में भोलेशंकर को खुश करने के लिए लोग कई चीजें शिवलिंग पर चढ़ाते हैं। जिसमें बेलपत्र शिव जी को बेहद प्रिय है। इसे चढ़ाने से आपकी अधूरी मनोकामनाएं भी भोलेनाथ पूरी कर देते हैं। शास्त्रों में बताया गया है कि बेलपत्र चढ़ाने से भगवान शिव का मस्तिष्क शीतल रहता है। साथ ही बेलपत्र को तोड़ने से पहले कुछ बातों का ध्यान रखना होता है आइए जानते हैं उन बातों को…
इन तिथियों पर न तोड़ें बेलपत्र
बेलपत्र को तोड़ते समय भगवान शिव का ध्यान करते हुए मन ही मन प्रणाम करना चाहिए। चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या तिथि पर बेलपत्र न तोड़ें। साथ ही तिथियों के संक्रांति काल और सोमवार को भी बेल पत्र नहीं तोड़ना चाहिए। बेलपत्र को कभी भी टहनी समेत नहीं तोड़ना चाहिए। साथ ही इसे चढ़ाते समय तीन पत्तियों की डंठल को तोड़कर ही शिव को अर्पण करना चाहिए।
बेलपत्र नहीं होता है बासी
बेल पत्र एक ऐसा पत्ता है जो कभी भी बासी नहीं होता है। भगवान शिव की पूजा में विशेष रूप से प्रयोग में लाए जाने वाले इस पावन पत्र के बारे में शास्त्रों में कहा गया है कि यदि नया बेलपत्र न उपलब्ध हो तो किसी दूसरे के चढ़ाए हुए बेलपत्र को भी धोकर कई बार पूजा में प्रयोग किया जा सकता है।
ऐसे चढ़ाएं बेलपत्र
भगवान शिव को हमेशा उलटा बेलपत्र यानी चिकनी सतह की तरफ वाला वाला भाग स्पर्श कराते हुए चढ़ाएं। बेलपत्र को हमेशा अनामिका, अंगूठे और मध्यमा अंगुली की मदद से चढ़ाएं। शिव जी को बिल्वपत्र अर्पण करने के साथ-साथ जल की धारा जरूर चढ़ाएं। ध्यान रहे कि पत्तियां कटी-फटी न हों।
बेलपत्र का महत्व
शिव पुराण अनुसार श्रावण मास में सोमवार को शिवलिंग पर चढ़ाने से एक करोड़ कन्यादान के बराबर फल मिलता है। शिवलिंग का बिल्व पत्र से पूजन करने पर दरिद्रता दूर होती है और सौभाग्य का उदय होता है। बिल्ब पत्र से भगवान शिव ही नहीं उनके अंशावतार बजरंग बली प्रसन्न होते हैं। शिवपुराण के अनुसार घर में बिल्व वृक्ष लगाने से पूरा कुटुम्ब विभिन्न प्रकार के पापों के प्रभाव से मुक्त हो जाता है। जिस स्थान पर बिल्ववृक्ष होता है उसे काशी तीर्थ के समान पूजनीय और पवित्र माना गया है। ऐसे स्थान पर साधना अराधना करने से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है।