मुंबईः शिवसेना के मुखपत्र सामना में बंगाल की सत्ता पर पकड़ खोने के लिए राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को जिम्मेदार ठहराया गया है. सामना मे लिखा है, ‘पश्चिम बंगाल में जो हुआ उसके लिए ‘गुजरात पैटर्न’ जिम्मेदार होने की बात ममता कहती हैं. इसलिए गुजरात नहीं बनने देंगे, इसका क्या मतलब समझें? कोलकाता तथा अन्य शहरों में जो गुजराती समाज है, उन्हें राज्य से बाहर निकालने की ये तैयारी है क्या? पीएम मोदी तथा शाह गुजराती हैं इसीलिए उनके बारे में इस तरह की भाषा का इस्तेमाल करना उचित नहीं है. उनका काम करने का तरीका अलग है.’
लेख में आगे लिखा है, ‘पीएम मोदी अप्रत्यक्ष और अमित शाह खुले रूप से हिंदुत्व की भूमिका अपनाते हैं. पश्चिम बंगाल में ममता ने सेक्युलरवाद के नाम तले बांग्लादेशी मुसलमानों की खुशामद कर रही थीं. यह पैटर्न उन पर ही उलट गया. इस खुशामद को चुनौती देने के लिए बीजेपी ने ‘जय श्रीराम’ का नारा दिया और हिंदू समाज ने अपने घुटते दम को खोल दिया. पश्चिम बंगाल में बीजेपी के 18 सांसद चुनकर आए. यह गुजरात का हिंदुत्ववादी पैटर्न है.’
सामना में आगे लिखा है, ‘खुद के अधोपतन के लिए ममता खुद ही जिम्मेदार हैं. मुट्ठी से बालू सरकती है, उसी तरह बंगाल ममता के हाथ से सरक रहा है. सीएम ममता के सड़क पर या कार्यक्रम में दिखाई देने पर लोग उन्हें चिढ़ाने के लिए ‘जय श्रीराम’ का नारा लगाते हैं और ममता गाड़ी से उतरकर उन लोगों से भिड़तीं हैं. मुख्यमंत्री के पद पर आसीन व्यक्ति को यह शोभा नहीं देता.
शिवसेना ने अपने लेख के जरिए पूछा है, ‘क्या ‘जय श्रीराम’ बोलना ममता के राज्य में अपराध है? ‘जय श्रीराम’ का जवाब देने के लिए कोलकाता में अब ‘जय हिंद, जय बंगाल’ का बोर्ड तृणमूल वाले लगाने वाले हैं. ये एक तरह की बेचैनी है. राज्य को बचाने के लिए ही इस तरह की कोशिश शुरू है. इससे क्या होगा? बंगाल का गुजरात बन गया है. कल को अयोध्या और बनारस भी बन जाएगा. प्रभु श्रीराम का कोप होने पर दूसरा और क्या होगा! हिंदुत्व भड़क उठा है. ये ममता के कारण हुआ. इसके लिए दीदी का आभार!